Sunday 25 October 2020

उमा की चौकी से शुचित आँगन

आयोजन - 
विधाता- छंद 
1222  / 4
दिवस नवरात्रि का आया लगाते भक्त जय कारे ।
सजा दरबार माता का खडी हूँ माँ रमा द्वारे ।।
शिवा का नाम अंतस में हरे सब दुख महादेवी ।
शुचित कन्या जिमाया है रहे हर्षित सदा देवी ।।

सवारे मातु बिगडे काज भक्तों की यही विनती।
दनुज से मुक्ति को सुर ने दुखी होकर करी विनती।
धरी तब कालिका अवतार  भर ली नैन अंगारे  । 
किया भय मुक्त देवों को भगाया दैत्य को सारे।।

हिमाचल की सुता गौरी धवल रूपा जगत न्यारी ।
युगो तप से मनाई थी पुरारी को रमा प्यारी  ।
विराजे बैल पर अम्बे अभय मुद्रा मधुर वाणी ।
नमन करती वृषा रूढा अनन्या मातु कल्याणी।।

महागौरी जगत जननी हिया ममता बड़ी भारी ।
करूँ पूजा भवानी की जगत उन सा न उपकारी ।।
चढाऊँ पुष्प गुड़हल से मनाती मातु महामाया ।
सजे सिंदूर की लाली रहे माँ प्रीत का साया ।

किया शृंगार चंडी का मनोहर रूप मतवाला ।
सजाती हूँ उमा छतरी मिले माँ नेह मधुशाला।।
पुजारी हूँ शिवानी की मनोरथ पूर्ण कर देना।
दया की मूर्ति हो माता गले से बस लगा लेना।।

जहाँ चौकी सजे गौरी शुचित आँगन वही होता ।
सुभग पग मातु का पडता वहाँ कोई नहीं रोता।
भरे झोली सदा दुर्गे,रहे खुश हाल हर कोई ।
कलुष मन के धुले आशीष दो अब मातु हर कोई।।

उषा की कलम से
 देहरादून उत्तराखंड

Tuesday 20 October 2020

भवानी की महिमा

विधा - शक्ति छंद / मात्रिक छंद
यमाता यमाता यमाता लगा
122 122 122  12

शुभे गेह तेरी चरण चँद्रिका ।
तुम्हारी सदा जय करूँ अंबिका ।
सुशोभित दिखे शेर माँ संग में ।
सदाशिव विराजे सदा संग में ।

छटा शाम्भवी देख नैना ठगे ।
अलौकिक जया दिव्य मूरत लगे।।
निहारूँ सदा चँद्रघंटा तुम्हें ।
गहो वैष्णवी भक्ति उर में हमें ।।

गले में सदा मुण्ड माला सजे ।
धरे चँद्र सिर शौर्य डंका बजे ।।
सजी केतकी कर कमंडल लिए।
धरा दैत्य से मुक्ति तुमने दिए ।।

भुजा शस्त्र तलवार तुम धारती ।
असुर को तुम्हीं मातु संहारती ।।
महाशक्ति अवतार फिर से धरो ।
सुवर्णा सकल कष्ट सबके हरो ।।

सुनैना  जगत को तुम्हीं पालती ।
शुभांगी वरद हस्त ही माँगती ।।
कृपा हो  सताक्षी करूँ वंदना ।
मृगाक्षी  हरो मम हिया  रंजना ।।

सकल दैत्य मारे अपर्णा तुम्हीं ।
महिषमर्दिनी चंडिका माँ तुम्हीं।।
मरे मधु और कैटभ दी जग खुशी
जया और विजया सखी मुख हँसी ।।

बजी शंख घंटी करूँ आरती ।
सभी भक्त को माँ उमा तारती ।
सुधा नेह जग में सदा बाँटती ।
भवानी कृपा से विपद भागती।।

उषा झा स्वरचित
देहरादून उत्तराखंड