रिश्तों की गहराईयाँ परत दर परत
खुल ही जाती
हकीकत के सरजीन पर वास्तविकता
का पता चल ही जाता ।
झूठ और अविश्वास की नींव हो तो
रिश्ते के महल टूटने में देर नहीं लगता ।
गर मन में हो खोट तो चाशनी में
डूबा रिश्ता भी बिखर जाता है ।
त्याग और आदर से बंधे मन,
ही जुड़े रहते ।
बड़े से बड़े आंधियों में भी
रिश्ते को टूटने न देते हैं।
संबंधो की गरिमा
बंधनो से आजादी में है ।
जबर्दस्ती बंधे रिश्ते में घुटन
होने लगता है
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