Friday 25 August 2017

जिजीविषा

वक्त के साथ लड़ते हुए
पहलू में खुशियाँ समेटने के लिए
जीने की चाहत भी होनी चाहिए ..
माना कि जिन्दगी ने हर वक्त
हर कदम किया है तुम्हें परेशां ..
छिन लिया है तेरी सारी खुशियाँ
रूलाया है तुझको हर घड़ियाँ ..
पर तू इतनी बूजदिल भी तो नहीं
जो हार मानकर छोड़ दे जीना ..
वक्त के साथ लड़ते हुए ..
पहलू में खुशियाँ समेटने के लिए
बस जीने की जिजीविषा कभी
कम न हो पाए ..
जिन्दगी के पंखो को तू दे परवाज
फिर देख खुशियों की उड़ान से
तेरी पहलुओं के सारे गम कैसे
 रितने लगेंगे ..
प्रीत के रस में तेरा ये आँचल भींग
जाएगा ...
कभी कभी जिन्दगी भी ऐसी इम्तिहान
 लेती है ..
इंसान खूल के साँस भी नहीं ले पाते ..
पर कहते हैं न जब सारे रास्ते बंद हो जाए
तो उपरवाले पे छोड़ देना चाहिए ..

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