आज भी तुम मेरे
एक एक बातों का
इतना ख्याल रखते ..
यही गुण से तुम्हारे
मैं वारी वारी जाती ..
कुछ तो है अगले
जन्म का पूण्य मेरे
जो इतने नाजो नखरों
को इतने प्यार से निभाते ..
ऐसा नहीं है जो
कोई गिले शिकवे
न होते हम दोनों में ..
पर जल्दी ही तुम मान जाते
मैं भी अपना गुस्सा
जल्दी ही ख्तम कर देती ..
शायद तुम्हारे समर्पण
के आगे मैं झुक जाती ..
प्रीत का पहला शर्त
एक दूसरे के ख्याल में
दोनों के बीच अहंकार से
बचाव में ...
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