गाँधी जयंती सिर्फ खानापूर्ति
उनके सारे चेले मनमानी करते..
जयंती में उनके सिद्धांतों पर
चर्चा कर, उपकृत महसूस कर
खुद का पीठ थपथपाया करते ..
गाँधीजी को फूल चढ़ा,चरखा चला
गाँधी वाद होने का ढोंग भर करते
सच्चाई का मार्ग थाम जिसने
तपस्वी बनाया अपना जीवन..
सादा जीवन उच्च विचार से
जिसने मोह लिया जग को
उनके अपने घरों के बेटे ने ही
लुटिया ही डूबा डाली बदनियती से ..
ले लो अवतार एकबार गाँधी जी
नैतिकता का राह दिखाने को ..
मानवता का जो पाठ पढ़ाया
उसकी स्मृति दिल में अलख जगाने को..
सत्य अहिंसा की हथियार से
जिसने धूल चटाया दुश्मनों को
देश की अखंडता की खातिर
अपनी जान की परवाह न की
घर के बेटे ने ही मार डाला बापू को ..
उनकी कुर्बानी न हो व्यर्थ
सब छोड़ दो अपने स्वार्थ
देश के हीत में सब करो उपाय
कोई भी देश को टूकड़े न कर पाये ..
करें हम प्रण आज रखें स्वच्छ धरा को
भ्रष्टाचार से रखें मुक्त भारत को
देश हीत है सर्वोपरी..
यही सच्ची श्रद्धांजलि बापू को..
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