बरसों से संजोकर
रखे कुछ यादगार
लम्हों की आज मैंनें
फिर से निकालकर
रखा है बही खाता ..
वक्त के थपेडों में
धूल झाड़ते सपने
कुछ अधूरी कुछ पूरी
कुछ मीठे कुछ तीखे
ख्वाहिशों की लगा
न सकी कीमत ..
बेसकीमती पलों
का तौल मिलना
बहुत ही मुश्किल
कितना ही जोड़
घटाव कर लें पर हिसाब
बराबर हो न पाता ..
किसी अजीज का
साथ तन्हा वक्तो में
किसी अपनों का
चट्टान के तरह
मजबूत सहारा
मुश्किल घड़ियों में
कर न सकी हिसाब
लौटा न पाई कीमत ..
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