बचपन के दिन
सबसे सुहाने
राग द्वेष से परे
न किसी से वैर
छल कपट से दूर
मन से निश्छल
बच्चे होते सच्चे ...
सबके राज दुलारा
वो सबसे निराला
सभी को लगते प्यारे
कभी वो झूठ न बोले
भेद भाव से रहते दूर
सबको समझे अपना
न कोई गम का फिकर
बच्चे मन के सच्चे ...
याद कर अपने बचपन
खुशियों से भर उठे मन
दोस्तों के संग मस्तियाँ
छुपन छुपाई की गलियां
सैर सपाटे की पगड़ड़ियाँ
वो सारे खेल खिलौने
कभी भूल न पाता मन
स्मरण कर भींग जाए मन
बच्चे होते सच्चे ...
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