Saturday 24 March 2018

पुरूषों पे भारी पहाड़ की नारियाँ

कुछ बातें समृति पटल पे हमेशा अंकित रहता ,जिसे हम चाहकर भी नहीं भूला पाते...
पहाड़ पर बिताए कुछ वर्षों में समझने का मौका मिला था वहाँ के भोले भाले लोगों के जिन्दगी के बारे में ..
   मेरे पति की पहली पोस्टिंग उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ी इलाके में हुई थी । इससे पहले मैं कभी पहाड़ घुमने नहीं आई थी ।सो तनिक ज्यादा ही उत्साहित था मन ।बस से सर्पीलि पगड़ंड़ियाँ बहुत ही सुन्दर दिख रहा था ।चार पांच घंटे के सफर के बाद हम गंतव्य तक पहुंच गए ।
पहाड़ से घिरा वो बड़ा प्यारा कस्बा था ।हम रोज शाम  को उँचे नीचे पगड़ंड़ियो में टहलने जाते थे । हरे हरे पेड़, पहाड़ी फूलों से भरे रास्ते बड़े प्यारे लगते थे।
   एकदिन मैंने पति से बताया मुझे पहाड़ के गाँव देखना है ।पति ने समझाया नहीं जा सकोगी पैदल ।
परंतु मुझे भी जिद्द सवार था ..देखना ही है गाँव ।
पहाड़ के गाँव रोड़ से लगा हुआ कम ही होता है, या तो काफी नीचे घाटी में ,या फिर काफी उँची चढ़ाई पर ।
खैर मैं जिस गाँव को देखने जा रही थी, वो काफी चढ़ाई पर था ।
पतली और कंकड़िली पगड़ंड़ियो पर चलते चलते मेरे पसीने छूट रहे थे ।
चेहरा लाल हो रहा था ।पर मैं एक निसाश में चढ़ती जा रही थी । चलते चलते मेरे दम फूलने लगा । मेरे पति ने समझाया छोड़ दो, लौट चलते हैं । पर मेरे इरादे अड़िग था ।धीरे धीरे पगड़ंड़ियों को पार कर गाँव पहुँच ही गई ।
गाँव में लोगों के घर देख अचंभित रह गई ।घर में सभी सूख सुविधा था ।मैंने पूछा कैसे ये सारे समान लाते हो, उन्होंने कहा सिर पर ढ़ोकर लाते हैं,बड़े समान खच्चर से आता है ।
मैं फिर वहां की औरतों से बातचित कर ,उनकी जिन्दगी के अनछुए पहलू को जानने की कोशिश करने लगी ..
उसने बताया हमें बचपन से ही पढाई लिखाई के साथ खेती बाड़ी, गाय बकरी पालने व दूध निकालना, जंगलों से लकड़ी लाना..सभी काम को करने के लिए सिखाया जाता है ..
मैंने कहा यहाँ मजदूर मिलता नहीं फिर खेती कैसे करते
उसने कहाँ हम सभी आपस में मिलजुल कर करते हैं सभी काम ।जिस दिन जिसकी बारी आती गाँव के सभी औरतें उसकी मदद कर देती .. इस तरह से खेती हो या कोई और कार्य मिल जुलकर आसान हो जाता ..
हम सभी काम में निपुण होतीं हैं ..आदमी आलसी होते हैं आप कह सकते हैं ...
यहां की मेहनतकश नारियाँ पुरूषों पे भारी होती है ...
कठिन परिश्रम के हिसाब से पहाड़ की स्त्री की तुलना मैदान के पुरूषों के बराबर माना जा सकता है ..
सचमुच उनकी जिन्दादिली व खुशमुजाजी को सलाम ..
गाँववासियों के आदर सत्कार से मैं अभिभूत हो गई ..रास्ते के सारे थकाई नदारद हो गई ..

No comments:

Post a Comment