Thursday 26 April 2018

हिप्नोटाइज (सम्मोहन)

उस दिन संध्या अपनी छोटी पुत्री को पुचकार रही थी कि तभी
उसके पापा के पास एक आध्यात्मिक बाबा आए ।पापा मम्मी ने हृदय से उनका आभार व्यक्त कर अभिवादन किया फिर प्रेम पूर्वक आसन ग्रहण करने का आग्रह किया ।
पूरा परिवार बाबा के सेवा में नास्ते खाने व अन्य व्यवस्थाओं   में जुट गए ।
संध्या सामने के कमरे से सब कुछ चुपचाप देख रही थी, एकाएक माँ पापा उसे पुकारने लगे, न चाहकर भी उसे जाना पड़ा फिर पापा ने आदेश किया बाबा के चरण स्पर्श करने को ..
संध्या को न जाने बाबा के आँखों में विचित्र भाव सा नजर आया ..
उसने हाथ जोड़ दिये । बाबा संध्या को देखके तपाक से बोले ,
अच्छा दो बिटिया है बेटा नहीं है ...

अब तो उसके मम्मी पापा और अंधभक्त हो गए ..कहने लगे कोई उपाय हो तो सुझाएँ । संध्या ने आव देखा न ताव, तुरंत बोल पड़ी ..ऊपर वाले की जो मर्जी होगी वही होगा  , किसी
 के चाहने न चाहने से कुछ नहीं होता ..

हँलाकि बाबा ने जो कुछ उपाय बताया उसके माँ पापा ने
हृदय से स्वीकार कर , उसे पूरा करने की बात कही ।
संध्या पर सभी लोग बहुत नाराज हुए । मम्मी कहने लगी जरा सा बाबा के पैर छू लेती तो तुम्हारा क्या जाता ? गुस्से में बोली
आजकल के बच्चे ने आधुनिकता में सारे संस्कार भूला दिया!!

बाद में संध्या ने पापा से  कहा मुझे ये बाबा ढ़ौगी लग रहे ..
पापा ने कहा शहर के सारे विद्वान उनसे इतने प्रभावित हैं ।
सभी पढ़े लिखे लोग उनके प्रवचन सुनने जाते । यहां तक कि मैं खुद विश्वास नहीं करता किसी बाबाओं पर मैं भी प्रभावित हुए बिना न रह पाया  .. आई ए एस थे वो दुनियावी माया से विरक्ति आ जाने से बाबा बने गए ,वो ढ़ौगीं कैसे हो सकते ?
न जाने तुम्हें कैसे लग रहे ?

उस दिन के दो चार दिन बाद पता चला बाबा मार खाते खाते
किसी तरह बचे । किसी ने उन्हें रातों रात चुपचाप भगा दिया ।
बाद में पता चला नाबालिग बच्ची को रात्रि बारह बजे अपने कक्ष में ध्यान करने बुलाया था ...

पापा को बहुत गर्व एवं आश्चर्य  अनुभव हो रहा था संध्या पर ।मम्मी से वो कह रहे थे देखो मैं हिप्नोटाइज हो गया बाबा के तर्कसंगत प्रवचन सुनने के बाद,  पर मेरी बिटिया नहीं हुई हिप्नोटाइज ..

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