Wednesday 23 May 2018

तनख़ा

माधव अपने सात भाई बहनों में सबसे बड़े थे । नौकरी के तुरंत बाद उसने पिता के साथ  घर की जिम्मेदारियों को संभाल लिया था । हँलाकि  पिताजी उसके शिझक थे और वो अभी अभी डाॅक्टरी की पढ़ाई समाप्त कर जाॅब ज्वाइन कर चुका था । फिर भी
परिवार बड़े होने के वजह से घर के खर्चे पुरे नहीं हो पा रहे थे।
छोटे भाई बहनों के पढ़ाई और जरूरी खर्चों में उसने कभी भी कोई कमी न आने दिया ।वो सोचता मेरे तरह छोटे भाई बहनें भी पढ़ जाए ।
इस बीच माधव के भी तीन बच्चे दो बेटी और एक बेटा हो चुका था ।घर के खर्चों में उसकी तनख़ा खत्म हो जाती, बीवी और बच्चों के जरूरी चीजें भी वो दिला न पाता !
"कभी कभी अपनी बीवी के मुख मलिन देखकर उसका मन बहुत कचोटता ..वो सोचता, हर पति अपने पत्नी के खुशियों के वास्ते , चांद तारे तोड़ कर उसके कदमों में न्योछावर कर देते हैं ..पर मैंने उस बेचारी को कुछ भी नहीं दे पाया ।"
परंतु तुरंत ही उसका ध्यान अपने परिवार के जिम्मेदारियों पे जा टिकता ।जैसे तैसे हिम्मत से वो अपने सारे फर्जो को अंजाम देने में लगा जाता ..
इधर पिताजी रिटायर्ड हो गए थे ।माधव अपने सारे फंड और
क्रेडिट कार्ड से छोटी बहन की शादी अच्छे से कराया, पिताजी  और बहन को रूपये की कमी से दिल को ठेस न पहुँचे ," "उसने शादी में कोई कमी न आने दिया ।"
बीवी ने बैंक के कर्जो के लिए आगाह किया तो उसने कहा,
क्यों चिन्ता करती हो ,"अगले महीने ही प्रभु  (छोटा भाई)
को पहली तनख़ा मिलेगी तो सीधे मेरे हाथ में रख देगा ।"
बैंक के सारे कर्जे यूँ ही चुटकी में छूमंतर हो जाएगा ।
आखिर मेरा भाई क्लास वन अफसर ह !
माधव की बीवी अपने पति के तरफ हैरत भरी नजर से देख अपने काम में लग गई ।
अगले महीने के पहले सप्ताह गुजर भी गया पर उसके हाथ में अब तक प्रभु ने एक ढेली तक न रखा ....

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