पुलिया के नीचे बोरी मे लाश पड़ा देख कुछ लोगों ने थाने में सुचित कर दिया । लाश के चारों तरफ काफी भीड़ इकट्ठी हो गई । थोड़ी ही देर में पुलिस की गाड़ी भी आ गई ।
वो लाश को चेक करने लग गए ,पर चेहरा इस कदर बिगड़ा
हुआ था कि पहचानना मुश्किल हो रहा था ।
जल्दी ही ये खबर आग की तरह फैल गई । आसपास के थानों में भी लाश मिलने की सूचना दे दी गई ।
कुछ घंटों बाद बगल के थाने से सूचना आई कि दो दिन पहले एक औरत अपने बड़े बेटे के घर से कहीं चले जाने की रपट लिखाई है।
आनन फानन में पुलिस वाले उस महिला को बुला लिया , फिर उसे लाश पहचानने को कहा गया पर वो मुकर गई ।
जब पुलिस वाले ने सख्ती दिखाई तो जल्दी ही वो उखड़ गई।
फिर फफकने लगी..रोते रोते उसने जो बताया सुनके सब अबाक रह गए ...
वो कहने लगी साब मैं क्या करती! उसने कोई चारा ही नहीं छोड़ा.."कहते हुए भी अपने आप पे घीन आती है ..उसने मेरे कोख को शर्मशार कर दिया ।"
पिता के मौत के बाद कितने कठिन से दोनों बेटों को मैंने पाला..पर गलत संगति में पड़कर बड़ा बेटा शराबी बन गया ।
शराब के नशे में अपनी माँ के अस्मत पे हाथ डालने लगा।लोक लज्जा के कारण किसी को कुछ बताने में खुद असमर्थ पाती । ऐसे ही कुकर्मी के कारण औरत की मृत्यु होती ..
धरती पर इस पापी को जीने का कोई हक नहीं था, "इसलिए
मैंने छोटे बेटे के साथ मिलकर घात लगाकर गला रेत डाला ," और बोरी में भर कर रातों रात छोटे ने दूर नदी में पुलिया के नीचे फेंक दिया । "पर सच के तो पीछे भी दो आँखें होती ..
छुपती कहाँ है सच्चाई ! "
उस अबला की कथा सुन सबके मन द्रवित हो उठे , "घोर कलयुग आ गया आपस में सब कानाफूसी कर रहे थे! "
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