Tuesday 8 May 2018

यकीन

आँखों के सारे अश्रु
को बह जाने दो
दर्द सारे बहके
मन निर्मल बन
लफ्जों के सुन्दर
ताने बाने से रूबरू
सबको करती रहे  ..
एहसास खुशियों के साज
जीवन में हर दिन
यूँ ही बजती रहे..

 मुश्किलों भरे दिन
सबके जीवन में
आते हैं यकीनन
खुद से भी यकीन
डगमगा ही जाते हैं ..
उम्मीद के दिए जिसने
थाम लिया हाथों में
रास्ते के अंधेरें
दूर हो ही जाते हैं ..

शब्दों के बाण
छलनी कर देते मन
घायल दामन
कटे वृक्ष समान
पी लिया जिसने
 पीर को अपने
उसके जीवन में
पतझड़ के बाद
बसंत आते जरूर
 काँटो भरे दामन में 
 फूल खिलते जरूर हैं ..

छलावा अपनों के
करते व्यथित मन को
मुश्किल है पहचान
साँप आस्तीन के
भूलावा रिश्ते के
दो राहे से निकल आए
विवेक से खुद को संभाल ले
सतरंगी सपने लिए
 जिन्दगी दस्तक 
उसी को ही देती है ...

 
 

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