Friday 1 June 2018

इन्सान के चेहरे ......*संजोग*

नैना दीदी नहीं रही अब इस दुनिया में ! ये खबर सुनके सहसा धक्का सा लगा , एक आह सी निकल गई ....
आँखों से अश्रुधारा बहने लगी । छोटे छोटे दोनों बच्चे बिन
माँ के कैसे पलेगा ," जीजाजी तो पहले से ही विक्षिप्त से हैं!! सोच के कराह सी निकल गई "..
बारंबार दीदी का चेहरा आखों के सामने नाचने लगा ...कितनी प्यारी और खुशमिजाज थी वो, सबसे गुणी भी।परिवार में सबसे कितना स्नेह करती ,बदले में हम सभी भी उनसे इतना ही प्यार करते । माँ -पापा की तो सबसे आज्ञाकारी संतान थी । परंतु चाचाजी ने न जाने क्यों.. इतनी हड़बड़ाहट में उनकी शादी कर दी, परिवार के किसी सदस्यों से राय भी नहीं ली
कहते हैं जोड़ियाँ उपर से बनके आती है , शायद दीदी के संजोग में यही लिखा था...पर हमसब तो चाचाजी के जिगरी दोस्त को ही दोषी मानते थे, जिसने चाशनी में लपेटकर झूठ को सच बनाकर पेश किया..उनके विश्वास में अंधे होकर उन्होंने अपनी तरफ से तहकीकात ही नहीं किया ।
खैर दीदी ने इसे अपनी नियति मान लिया । जीजाजी मंदबुद्धि थे और ससुर , खड़ूस बड़े बेटे को परिवार चलाने की जिम्मेदारी सौंप खुद जमिन्दारी को बढ़ाने में खोया रहता ..किससे वो क्या कहती !
ससुराल में छोटे भाई ने आँखों से जब उनकी स्थिति देखा ,दीदी को जरूरत के एक एक चीजों के लिए दूसरे के मुँह ताकते हुए, तो वो किसी की परवाह किए बगैर ले आया दीदी को ।
दीदी, अपने दोनों छोटे बच्चों को ले कर मायके में खुश हो के  रहने लगी ।
थोड़े ही दिनों में वो अपने गमों को भूलाकर बच्चों की पढ़ाई के साथ साथ, भाई और अपने पापा के हर कामों में हाथ भी बँटाने लगी ।
लेकिन लोग चैन से किसी को जीने नहीं देते हैं, जल्दी ही वो सबके एक ही सवाल, कितने दिन रहोगी ! कब जाओगी ससुराल? .. सुन सुनके पकने लगी ।
अपने पराये सबके एक ही सवाल से उकताकर, वो ससुराल चली गई । बच्चों को मायके में छोड़ दिया, क्योंकि वहां स्कूल दूर था ।
फिर दीदी कई सालों तक मायके आई ही नहीं,न ही किसी को अपनी समस्याओं के बारे मे कभी कुछ बताया । जाने कब वो गंभीर बीमारी के जकड़ में आ गई ,किसी को पता ही नहीं चल पाया ।
मायके में किसीने खबर दिया उनकी हालत बहुत सीरियस है,
चाचाजी नैना दीदी को ले आए, पर तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था ..एक दो दिनों में ही जिन्दगी ने उनका  साथ छोड़ दिया...
अब, जो लोग उनकी खिल्ली उड़ा रहा था, ...
अपने पति को छोड़ के मायके बैठी है !  "वही लोग कह रहे थे, हाय हाय मायके में दो रोटी ही तो खा रही थी ! यहाँ रहती तो क्या बिगड़ जाता ?"
"सचमुच हर एक इंसान में कई चेहरे छिपे होते हैं !!"

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