Wednesday 13 June 2018

मुहब्बत

मुहब्बत में नाकामी दिल जला बना दिया         
 मिलन की आरजू ने मजनूं बना दिया

उल्फत में उनके रात दिन यूँ बैचेन रहते हैं
इक दीदार के वास्ते खुद को पागल बना दिया

जुदाई का गम सहना बहुत ही मुश्किल
खाक में मुहब्बत कलेजे चीर के रख दिया

अधूरी हसरतों की जैसे धज्जियाँ उड़ गई
अब परछाइयाँ ने भी उनका साथ छोड़ दिया

किसी से मिलना बिछुड़ना अपने बस में कहां
 रब के इशारा ने जैसे दो प्रेमी को मिला दिया




No comments:

Post a Comment