Saturday 9 June 2018

बंदिशें

रोक न पाया जमाने की बंदिशें हमें
हम दीवाने पे लाख पहरे बिठाया

तकदीर में तुम मेरे ही थे तो मैंने       
 तुझे इसी जन्म में पा ही लिया

उम्मीद न थी कभी होगी मिलन
किस्मत ने हमें मिला ही दिया

प्रियतम से नजरें इनायते तो
हाथों के लकीरों में लिखी हुई

तुम न भी मिलते करती इन्तजार
सह लेती पल पल गमे जुदाई

सच्चे प्रीत गर हो प्रियतम से
सारी कायनाते मिलाते इक दूजे से...

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