रोक न पाया जमाने की बंदिशें हमें
हम दीवाने पे लाख पहरे बिठाया
तकदीर में तुम मेरे ही थे तो मैंने
तुझे इसी जन्म में पा ही लिया
उम्मीद न थी कभी होगी मिलन
किस्मत ने हमें मिला ही दिया
प्रियतम से नजरें इनायते तो
हाथों के लकीरों में लिखी हुई
तुम न भी मिलते करती इन्तजार
सह लेती पल पल गमे जुदाई
सच्चे प्रीत गर हो प्रियतम से
सारी कायनाते मिलाते इक दूजे से...
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