Sunday 5 August 2018

बेमिसाल मित्र

बनते जो मित्र एकबार ,निभाते वो उम्र भर

जो बिन बोले दिल का हाल जान ले
देखते ही खुशी और गम पहचान ले
जिससे मिलके मन का सुमन खिले
वो ही तो बचपन का मित्र है असली

बनते जो मित्र एकबार, निभाते वो उम्र भर
 
बिना स्वार्थ के जो आके गले मिले
बेवक्त ही सही कभी हमसे मिल ले
एकबार आए तो जाने का नाम न ले
वही हमारा गहरा मित्र है मतवाला

बनते जो मित्र एकबार, निभाते वो उम्र भर

जीवन के झंझावात में छोड़े न हथेली
 दुख और सुख में जो दे हमेशा संबंल
 जो रंजो गम में भी बढाते रहे हौसला
वो ही तो राजदार मित्र है बेमिसाल 

बनते जो मित्र एकबार, निभाते वो उम्र भर

जीवन के सांझ में रहने न दे जो अकेले
जो अपनी सुनाए और सुने दिल का हाल
सीख दे ढ़लते वक्त पे लुफ्त उठना पल पल
वही है हम सबका विशाले यार दिलवाला

बनते जो मित्र एकबार, निभाते वो उम्र भर

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