Sunday 5 August 2018

गजल

काफिया - ऐ
रदीफ - लिया,

आज सनम को सपने में..अपना बना लिया
हुई पुरी मेरी हसरतें.. खुदा को बुला लिया

तुमसे मिले कितने मुद्दत की बात हो गई
तेरी सूरत नयनों के मोती में.. बसा लिया

जाने मुझे किस बात की खता दिया तुमने
क्या भूल हूई तुने ..अपना दामन छुड़ा लिया

मिलने की अब कोई सूरत नजर नहीं आती
 तेरी यादों को अपने सीने में .. संभाल लिया

यकीन है अपनी वफा पे..तुम्हें लौटना होगा
प्रिया के वास्ते,मैंने.. खुद को ही मिटा लिया

उम्मीद है जुदाई के मौसम बदलेंगें.. जरूर 
ख्वाबों में ही सही तुने.. बाँहों में छुपा लिया

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