Saturday 12 January 2019

वेदना

विषय मुक्तक--दुःख

तुम बिन जीना अब दुश्वार हो गया  
तुम संग थे तो जीवन फूल बन गया
दिल को दर्द गम है तेरे वियोग का 
मुहब्बत का गम तुम ता उम्र दे गया
       
तिनके तिनके से एक नीड़ बनाया था 
अपने नन्हें चुजों  को दाने खिलाता था
पंख ज्यों ही आया वो उड़ गया फूर्र से
पाखी का दुख ही संग साथ अपना था

रूबाई  / गम

तेरी याद  एक   नासूर  घाव
तू अब देख बीच  मझधार नाव
जाने क्यों गम दिए ,गए चौराह छोड़
किस्मत पे प्रिय लगा दिया है न! दाँव

यादों में  हो शामिल , हो यार कहाँ !
राहों  में  हो  फूल, वो तकदीर कहाँ !!
कर जाओ रुसवा गर सनम,   मुझे
घुट जाएंगे  साँस,  वो मुहब्बत कहाँ ।।

 

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