Friday 12 April 2019

बिखरे सतरंगी सपने

बिखरे सभी सतरंगी सपने
मधुरिम पल अब स्मृतियों में

झरने लगे हरसिंगार प्रीत के
नई नई जब आई तरूणाई
प्रमुदित हृदय ने ली अंगड़ाई
खिलने लगे फिर टेसू हृदय में
मधुर मलय ने आंचल ढ़लकाई
उड़ने लगी बिन पंख आसमां में
मधुरिम पल अब...

रास रंग में खो गया तन मन
चिर मिलन की आस दिल में
अंतर्मन में छलके जलधि तरंगें
खोयी मैना अब  स्नेह कुंज में
नेपथ्य में अब सारी कामनाये
फंसी जीवन के भूल भूलैया में
मधुरिम पल अब...

बजी घंटी उर में सुधियों के
छंटा जादू जब आसक्ति के
बरसे वारिद घनघोर नैनों  से
बीते हास परिहास के वो दिन
ढूंढते हैं उनके अवशेष नयन
पीर के गवाह सूनी सेज बने
बिखरे सभी सतरंगी ...

बीत गए मनुहार के पलछिन
अतीत के पन्ने में वो लम्हें
शिथिल हुए हैं हृदय स्पंदन
यादें भींगोये नैनों के कोरें
भग्न स्वप्न से अकुलाये मन
क्यों देखें इन्द्रधनुषी सपने

बिखरे सभी सतरंगी सपने
मधुरिम पल अब स्मृतियों में

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