Saturday 15 June 2019

करनी का फल

उर्वर भूमि में बीज का पनपना लाजिमी है ।परंतु कभी कभी उशर जमीं पर भी उन्नत बीज पनप जाया करते ।
शालू अपने गर्भ में पल रहे बीज को खत्म करने के सभी
हथकंड़े अपनायी परंतु बीज टस से मस नहीं हुआ ।
आखिर गर्भ में पल रहे बीज समय आने पर नन्हा पौध बन दुनियां में कदम रख ही दिया ।
शालू दर बदर हास्पिटल का चक्कर लगा रही है सब डा.ने इलाज में हाथ खड़ा कर दिया ।सभी डा. ने कहा बच्चे का दिमाग अविकसित रह गया है ।बड़ा होकर भी
बच्चा बना रहेगा ।ये सुनकर उसकी सिसकी छुट गई ।
शालू को अपनी करनी पर बहुत पछतावा हो रहा था ।
  उसे याद अपने उच्च महत्वाकांक्षा में अपने गर्भ में पल रहे बीज को खत्म करने के लिए क्या क्या उपाय की ।
अधिक धन जोड़ कर गृहस्थी मजबूत करने की चाह में
जीवन भर का गम मिल गया ।
  शायद ये कहावत चरितार्थ हो रही ..." मारने वाले से बचाने वाले शक्तिशाली होते..।"
"...साथ ही करनी का फल तो भोगनी ही पड़ती ।"

उषा झा (स्वरचित)
देहरादून (उत्तराखंड़)

No comments:

Post a Comment