Sunday 28 July 2019

प्रीतम से मनुहार

दुर्मिल सवैया (आठ सगण 122)
112   112    112 112   112   112  112   112

सुन साजन प्यार मुझे करना,तुम रूठ रहे दिल टूट गया
तुमसे यह जीवन है अपना ,,उर प्रीत भरे भरपूर  पिया ।
तुझ संग जुड़ा यह जीवन है,तुम जो बदले जग छूट गया
जब खोट नहीं तुझमें सजना,, फिर कौन कहे रब रूठ गया ।

जगती अखियां अब देख रहीं, सपना जब प्रीतम बाँह भरे  ।
अपनी सब ही बतियाँ बतला,, कर वो मुझ से इकरार करे   ।
जब नैन मिले उनसे फिर तो ,,मिलके शिकवे सब आज करे
खुशियाँ कितनी मिलती, बरसों,,प्रिय साथ रहे बस प्यार करे ।  

जब दो दिल एक हुए हिय में,,तब प्रीत पगे, छुपके  सबसे ।
जब साथ रहे बनती बिगड़ी,, खुद ही फिर प्रेम करे उनसे   ।
इतरा कर मैं मन की करने,, पलटी मुख फेर लिये उनसे  ।
पल में  पिघली  दृग नीर बहे, उनको फिर देख लिये जबसे ।


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