Thursday 1 August 2019

किसन राधा तुम्हारी

विधा- मालिनी छंद( वर्णिक)

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किसन मन पुकारे, क्यों मुझे याद आते    
निश दिन नयना भी ,,आस तेरा दिखाते
प्रियतम किन भूलों, की सजा ये मिली है
विरह अगन राधा , संग गोपी जली है  ।।

समझ कर अभी भी, वो अज्ञानी बने हैं
पलछिन गुजरे वो, क्यों भुलाने लगे हैं  
हरि फिर ब्रज वासी, संग तू नाच लेना
गिरधर मुरली ही , तू  सुना आज देना ।।

रिम झिम बरसी है , सावनी सी घटा भी
मन पुलक रहा क्यों,,सांवरे दी सजा भी
गरज गरज मेघा ,, भी जिया को जलाती
लुटकर सुख चैना ,, हो कहाँ, नैन बहाती ।।

अब घट मन के भी,, रीतने क्यों लगे हैं
दरशन बिन प्यासी , नीर बेकार बहे हैं
विकल हृदय राधा ,आज भी रो रही है
सहचर तुमने भेजा , सुधी ही नहीं है ।।

निरखु सगुण रूपों ,को यही चाह में जीती
जब किसन दिए हो , पीर  तो अश्रु पीती 
मधुर मिलन कैसे  ,, भूल बैठा मुरारी
जब तक तन में है ,प्राण राधा  तुम्हारी   ।

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