Tuesday 19 November 2019

अनुपम अहसास

विधा- रोला

चोटी ढकती बर्फ , श्वेत धवल पर्वत दिखे  
देवदार औ चीड़ ,शीश किए ऊँचा दिखे ।।
छू लो बादल हाथ,  रूई सा उजले दिखे  ।
सुन्दर  नैनाभिराम, दृश्य पहाड़ों के दिखे ।।

 लौटे पंछी नीड़ , वे मधुर मिलन को गेह ।
दो दिल खोया प्यार, भर रहे  नैन में नेह।।
आयी सर्दी द्वार,    बिखर हरशृगांर गए। 
नया नया अहसास, मचल हृदय फिर भी गए ।।

आनंदित हर पोर, रोम रोम छाया नशा ।
आये साजन साथ,आज झूमती हर दिशा
हर्षित मानव मुग्ध , रश्मि छिटकती ओस है ।
खिले पुष्प सब बाग , मुग्ध नैन मदहोश है।।

सुरभित कानन मुग्ध,चूस अलि मकरंद रहे।
सुप्त हिया अनुराग, नैन झूम प्रीतम रहे ।।
मुक्त हुआ तन तप्त , गात शीतल, लिहाफ में ।
भींग रहा मन प्रीत ,बँध प्रीतम की बाँह में ।।

उषा झा

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