Tuesday 12 November 2019

प्यार का मौसम

विधा - रोला 

दस्तक सर्दी द्वार, आने वाली शीत  है ।
दो बूँदें प्रेम जब , भावे मन को मीत है ।।

जगे हिया अहसास ,याद कहानी हो रही ।
झरते हरशृंगार ,    प्रीत दिवानी हो रही ।।

तुझे खोजते नैन,  बसी  है मूरत  मन में ।
है निशान मौजूद ,बसती आस नयनन में ।

लायी बहार प्रीत , मौसम उमंग भरा है
आया मन का मीत,हुआ दिलआज हरा है

खिलते जब मन पुष्प ,लगते पग भी थिरकने।
रंग भरे मधुमास ,लगते दिल भी पिघलने।

 हर्षित है खग वृन्द , भँवरे बाग में घूमे ।
कोकिल है आनन्द, मेरा पिया मन चूमे ।

जग में प्रेम अनूप,जीवन खुशियाँ मनाता 
जपे सभी दिन रैन, रात दिन खुशियाँ  लाता ।।

चखी  नेह की  बूँद ,पुलकित मन आंगन हुआ ।
बरसे प्रीत फुहार, कण कण रोमांचित हुआ ।।

रहे अधूरे  ख्वाब , चली दो सिरे जोड़ने ।
चुनने शिउली फूल , चली फिर तुम्हें ढूँढने 

मिलने का विश्वास ,नही टूटा है अब भी 
मत मृगतृष्णा पाल,जानता इसको जग भी ।

उषा झा 


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