अनगिनत यादें जेहन में ।।
शनैः शनैः वक्त फिसल गए ।
बंधन जन्म के बिछुड़ गए ।।
खिले पुष्प चमन में खुशबू ,
द्वय दिल मचले फिर रूबरू ।।
प्रेम पावन बस महक रहे ।।
उनकी निशानी जेवर हैं ।।
पहला एहसास हृदय में ।
अनगिनत यादें जेहन में ।।
अल्हड़ मस्त स्वप्न कुँवारे ।
नयना लड़े संग तुम्हारे ।
सूखे गुलाब किताबों में ।
छुपे हृदय हैं दर्द सारे ।
कैद अब जज्बातें दिल में ।
अनगिनत यादें जेहन में ।।
भूल सकी न मधुरिम यादें ।
निभा सके कहाँ तुम वादे ।।
नहीं संग प्रीतम हमारे ।
शब्द में पिय अक्स तुम्हारे ।।
अधूरी चाह कसक दिल में ।
अनगिनत यादें जेहन में ।
उषा झा
छुपे हृदय हैं दर्द सारे ।
कैद अब जज्बातें दिल में ।
अनगिनत यादें जेहन में ।।
भूल सकी न मधुरिम यादें ।
निभा सके कहाँ तुम वादे ।।
नहीं संग प्रीतम हमारे ।
शब्द में पिय अक्स तुम्हारे ।।
अधूरी चाह कसक दिल में ।
अनगिनत यादें जेहन में ।
उषा झा
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