विधा- दोहे मुक्तक
सूर्य किरण नव वर्ष की ,पूर्ण करे सब आस ।
सुष्मित पुलकित हृदय में,नव भरे अहसास
जीवन आलोकित सदा,रहे तमस अब दूर ।
नित्यराग,उमंग नवल,जीवन हो न उदास ।
कोहरे की चादर से , लिपटे मोती घास ।
प्रीत मुखरित मुदित हिया, नैन स्वप्न है खास
भीनी भीनी महक, उर , याद करे गत वर्ष।
ख्वाब पूर्ण नव वर्ष हो, भरे हृदय उल्लास
बिछुड़े परिजन हृद बसे याद करे दिल आज
धूँध वक्त के खो गए , रोये हैं दिल आज ।।
कहाँ छुपे वो छोड़ कर,थे जो बहुत अजीज
बीते निशान वर्ष के, ढूंढ रहा दिल आज ।।
नया वर्ष खुशियाँ लिए, आना मेरे द्वार ।
प्रतिपल ही उल्लास भर,सुखी रहे संसार ।
ईश ! शीश पर हाथ रख,देना प्रभु आशीष ।
हमें भँवर से तार दो, इतना कर उपकार ।
उषा झा देहरादून
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