विधा- मुक्तक
देखते ही उनको मेरा बुरा हाल हुआ।
मन घबराया मेरा ,दिल भी बेहाल हुआ ।
अब कहाँ धड़कनें भी,कहना मेरा माने।
साँसों की तेज गति से बैचेन हाल हुआ ।।
यौवन की दहलीज चढ़ कर करते सब भूल ।
रूप यौवन के जाल में नष्ट जीवन फूल ।
धड़क धड़क कर धड़कनें ,छीने जीवन मूल।
बहकते कदम ऐसे बिछें हों पथ पर शूल ।।
कब मांगने से मिलती मुहब्बत है किसी को ।
रब की मर्जी से मिले मुहब्बत है सभी को ।।
रूह की रौशनी से सजदा सच्ची मुहब्बत ।
मन में बसाकर मूरत पूजता है तुझी को ।।
प्यार व्यापार बन गया, ठगते सब किसी को ।
प्यार का दिखावा करे, दे घात हर किसी को ।।
नेह लुटा के पता चले ,कितना सुकून मिले ।
दुख में जो साथ निभा दे, मिले प्यार उसी को ।।
उषा झा देहरादून
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