इस यौवन की यही कहानी
मन में आग नयन में पानी ।।
प्रणय भाव में नयन निमज्जित
लगता सब कुछ हुआ विसर्जित
जीवन में ज्यूँ मौज रवानी
इस यौवन की यही कहानी
मन में आग नयन में ...।।
भीगे मन में प्रेम भरा है ।
मानस उपवन हरा भरा है ।
प्रिय की है यह चूनर धानी ।
मन में आग नयन में पानी ।।
जो है दूर याद आया है ।
इन्द्र धनुष मन में छाया है ।
साँस साँस में प्रिय की वाणी ।
इस यौवन की यही कहानी ।।
शलभ जले जब दीपक जलता ।
प्रेम अग्नि से जीवन मिलता ।
प्रणय याण में घूमूँ क्षण क्षण ।
अर्पित प्रिय को मेरा कण कण ।
मैं भिक्षुक सी प्रिय है दानी ।
इस यौवन की यही कहानी ।।
*प्रो उषा झा रेणु*
देहरादून
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