नैनों में तेरे ही सपने , दे दी दिल तुमको सजना ।
जीवन डगर संग ही चलना, तुम से दूर नहीं रहना ।।
दिवस खास देखो आये हैं, प्रणय निवेदन मैं करती ।
चलें दूर हो जहाँ सितारे,तुम से ही धड़कन चलती।।
नीले अंबर के नीचे मन,भर बातें करनी तुमसे ।
भार्या सजन बनी हूँ तेरी , जाने कितने युग युग से ।।
सजन निभाना रीति प्रीति की, नहीं किसी से तुम डरना ।
जीवन डगर संग ही चलना, तुम से दूर नहीं रहना ।।
दिल के कोरे कागज पर अंकित, नाम वही सुमीत से ।
तुम्हें देखते ही दिल धड़का, तुम जुड़े हुए अतीत से ।
सपने में एक सौम्य गंधर्व , पुष्पक विमान पर आए ।
अनुबंध हमारा बरसों का , तभी एक दूजे को पाए।।
मिले सनम गम या खुशी हमें,अब तो मिलकर है सहना।
जीवन डगर संग ही चलना , तुम से दूर नहीं रहना ।।
सौभाग्य फले फूले निशि दिन , स्वार्थ प्रीत से परे रहे ।
जग में अपना प्यार अमर हो , सत्य प्रेम बस टिके रहे ।
इतिहास रचे हम दीवाने , प्रेम अमित सब पढा करे ।
कायनात में रुह की दांस्ता,एक इबारत लिखा करे ।
मन मीत एक विनती सुन लो , भूल माफ सदैव करना ।
नैनों में तेरे ही सपने ,दे दी दिल तुझको सजना ।
जीवन डगर संग ही चलना,तुमसे दूर नहीं रहना ।।
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प्रो उषा झा रेणु
देहरादून
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