Monday 27 December 2021

स्वार्थ में पगे रिश्ते (कहानी)

मेरे पड़ोस में एक पंजाबी परिवार रहता है।उनकी तीन बेटियाँ और एक बेटा है। मीनू, पिहू, गीत और परमिन्दर क्रमशः इनके नाम हैं । स्वभाव से पंजाबी दम्पत्ति सरल व मितभाषी हैं। शायद तेज तर्रार नहीं थे तभी इनका बिजनेस भी न के बराबर ही था ।बस दो गड्डी(ट्रक) खड़ी
है माल ढ़ुलाई ( रेत, बजरी) के लिए । घर की माली स्थिति दयनीय देख बड़ी बेटी बी .एस .सी .के बाद घर से ही होम ट्यूशन चलाने लगी ।देखते ही देखते बच्चों की भीड़ मीनू के दरवाजे पर दिखने लगी ।मीनू ने अपने घर को संभाल लिया ।वो अपने पिता के मजबूत कंधे बन गई थी। घर ,भाई बहनों के केरियर सँवारने में खुद को उसने झोंक दिया ।इधर परिवार तो संभलता जा रहा था पर दूसरी तरफ उसकी शादी की उम्र भी निकली जा रही थी ।कोई न कोई अक्सर उसे पूछ ही डालते ...
" अरे मीनू तुम कब शादी करोगी ? आखिर हर लड़की को अपना घर तो बसाना ही पड़ता है ..! "
" तुम्हें भी अब शादी के बारे में सोचना चाहिए .. ?"
इस पर मीनू ने कहा - "अभी तो मुझको बहुत सारे काम करने हैं । घर भी नहीं बना है , भाई बहनों की पढाई
अधूरी है । ऐसे में कैसे शादी कर लूँ ? "
तीनो बहनें कमसीन और खूबसूरत थी, हर किसी के मुँह से उनके लिए तारीफ ही निकलती थी । हर किसी को उनकी शादी की फिकर हो रही थी पर ,उसके माता पिता
तो आँखें ही मूँद रखे थे । काॅलोनी में सब उनके लिए स्वार्थी, बेटी की कमाई खाने वाले ,मक्कार माँ बाप जाने
क्या क्या बोला करते ? इन बातों में कुछ तो सच्चाई थी और कुछ फालतू भी ।कारण दोमंजिला खड़ा हो गया था, बड़ी सी कार आ गई ,बच्चे पढ लिख भी गए थे ।
अब तो उन्हें मीनू की शादी कर ही देनी चाहिए थी , पर जब पूछो तो कहते ,"रब जाने उनके बगैर तो कुछ होता ही नहीं । जब होने को होगी, हो जाएगी ।"
खैर इसी बीच ,सबसे छोटी बेटी घर से भागकर शादी कर ली ।सुनने में आया वो एक अधेड़ से शादी कर ली है।
उसके बाद मीनू ने भी अपने लिए लड़के खुद तलाशने शुरू कर दिए ।उड़ती उड़ती खबरे सुनाई दी कि , अपने ही शुरूआती दिनों के ट्यूशन वाले छात्र, जो मर्जन्ट नेवी में इन्जिनियर था, उसी से शादी तय हो गई ।
मुझे याद है जिस दिन मीनू की शादी थी , उस दिन सारी
काॅलोनी ही खुश थे ।हम सभी सज धज के मीनू की हल्दी , मेंहदी और शादी के सभी फंक्सनअटेन्ड किए थे।शादी भी शानदार फार्महाऊस में हुई थी ।सुनते हैं लड़के वाले ने ही अधिकतर इन्तजाम करवाए थे ।
मीनू भी उस दिन बेहद खूबसूरत लग रही थी । छत्तीस की मीनू को उम्र छू तक नहीं पाई थी ।
मैं अपने सखियों के संग मीनू को देखने के लिए मैरिज हाॅल के दुल्हन वाले कक्ष में गई थी ।कारण जयमाल तक रूकना मुश्किल था । उसे देखकर हम विभोर हो गए..
मेरी सरदारन सखी ने कहा ,
" मीनू अब तो हमारी काॅलोनी उदास कर चली जाओगी ।""अब बच्चे किससे पढने जाएँगे ...?"
मीनू मुस्कुराकर रह गई थी... ।
सभी के बच्चे मीनू से ही पढते थे इसलिए सबको उससे विशेष लगाव था ।
मीनू के शादी होने के बाद हमारी काॅलोनी सचमुच सूनी
दिखने लगी ।अक्सर आते जाते पंजाबन के घर पर नजरें
अटक जाया करती थी। मीनू के जाने के थोड़े ही दिनों के
बाद , दूसरे नम्बर की बहन पीहू ने ट्यूसन पढाना शुरू कर दिया।कारण छोटी बहन भाग कर शादी कर ली और
बड़ी बहन की भी शादी हो गई थी ।वोअकेलेपन के उदासी से निकलने की राह ढूँढ ली। वैसे भी अब घर खुशहाल हो गया है । छोटा भाई परमिन्दर अच्छे से बिजनेस चला रहा है । माल ढ़ुलाई के अतिरिक्त भी कई सारे धंधे करता है ।इसी साल के शुरुआत में परमिन्दर की शादी हो गई थी।पंजाबन मियाँ बीवी प्रसन्न मुद्रा में कार्ड बाँटने आए थे ।और सारे फंक्सन में सबको आमंत्रित किए।अब भी सबके मुख पर एक सवाल था ,
"अरे भाभी जी , भाई साहब आपने पीहू से पहले परमिन्दर की शादी कर दी ...!"
"कायदे से तो, पहले बड़ी बहन की शादी होनी चाहिए थी।"
पंजाबन तो मुस्कुराकर सबको कहते, "बहन को भी तो
शौक होता उसकी शादी में भाभी हो ....।"
खैर बेटे की शादी कर मियाँ बीवी खुश थे ,तो लोगों को
कोई हक नहीं बनता ज्ञान बाँचने का ... !
पीहू भी ट्यूशन में मशगूल थी ।सब कुछ ठीक चल रहा था । अचानक एक दिन मेरे पड़ोसन ने कहा ,
"अरे मिसेज झा आपने सुना , वो पीहू ने फाँसी का फंदा
लगा लिया .... ? रात में ही झूल गई थी ।सवेरे अपने कमरे मरी पाई गई है ।
मैं तो अपने मूड़ेर पर खड़ी स्तब्ध रह गई ।बार बार उसकी शकल आँखों के सामने नाचने लगी ।
बाद में पता चला भाई की बीवी से कहा सूनी हो गई थी ।
शायद ऐसी चूभने वाली बातें सुना दी, जिसे सुनकर पीहू
बरदास्त नहीं कर सकी थी..।
सबके जुबाँ पर अब एक ही बात है , "जिस घर की नींव बेटियों ने डाला ,उसी को नाते दार बोझ समझने लगे ।"
*प्रो उषा झा रेणु*
मौलिक (देहरादून)
सर्वाधिकार सुरक्षित






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