Thursday 21 April 2022

हथकड़ी


संध्या मम्मी की हर बात मानती थी इतनी अच्छी कामवाली पाकर वह बहुत खुश थी ।आज तो वह कुछ ज्यादा ही सेवा भाव दर्शा रही थी । काम निबटाकर माँ के पैरों की मालिश करने बैठ गई क्योंकि माँ ने सुबह बता दिया था कि कल दस दिन के लिए परिवार सहित गाँव जा रही हूँ । माँ ने महीने की तनख्वाह देकर उसे विदा किया । 
थोड़ी देर बाद पापा मूवी की टिकट लेकर आए सबको कार में बिठाकर चले गए ।रात नौ बजे जब लौटे तो घर की हालात देख के हक्के बक्के रह गए ।  घर के  ताले टूटे हुए थे । कौन है घर का भेदी , सभी सोचने लगे । घर से नगदी, जेवर ,कपड़े आदि चोर लेकर चले गए।  माँ  पापा के पैरों की जमीन ही खिसक गई ।
 तत्पश्चात  पुलिस आई ।शक के आधार पर पूछताछ के लिए कामवाली संध्या को बुलाया गया । संध्या तो सिर दर्द के बहाने से आने से मना करने लगी । पुलिस ने जब आँखें तरेरी तब जाकर आने को तैयार हुई ।
 उसके पैर की पाजेब पर माँ की नजर पड़ी जिसे वो ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी ....।
अब संध्या हथकड़ी पहन कर पुलिस की गाड़ी में जा रही थी..।

प्रो उषा झा रेणू 
स्वरचित देहरादून 

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