Wednesday 28 June 2017

बेटियाँ

एक नन्हीं सी बिटिया माँ के
कलेजे से छुपकर ममता के
आँचल में लिपटकर दुनियाँ
के पथरीली रास्ते से अंजान
पहला मासूम कदम रखती ..
बेखबर सी वो नहीं जानती
दुनियाँ की भेड़ चाल, कैसे
मासूम कली भी पीस जाती

राह में अनेकों रोड़े बिछे हो
संकटों के तूफान में घिरी वो
खुद के अस्तित्व को बचा कर
आसमान की उँचाइयों को अब
अपने कदमों से नापना चाहती

गर भेद भाव न हो बेटे बेटी में
राह रोकने की जबरन कोशिश
न करे कोई, तो हर क्षेत्र में झंडे
लड़कियाँ अब फहरा ही देती....

हर रिश्ते को संवारने में जिन्दगी
बिताने वाली बिटिया को दें स्नेह
बिना मर्जी के उसपे थोपे न बंधन
पर न काटे, करें उसपे अभिमान

कर नन्हीं को आजाद,खोल पिंजरे
नभ में करेगी तब स्वच्छंद विचरण 
लाएगी अनेकों खुशियों के तोहफे
बढाएगी वो कुल का मान सम्मान

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