Monday 10 July 2017

हसरतें

उम्र गुजर जाती है हम सबों की
बेहिसाब हसरतें पूरे करते करते ।
 
रह जाती है जीवन की सभी
यही पे कही अनकही हसरतें ।

सबको पता है एक दिन वो भी
खो जाएँगें दुनियाँ की भीड़ में ।  

छूट जाएगी रिश्तों की सारी बंधनें
जीवन के इसी बीते हुए लम्हे में ।

लेकर साथ कुछ भी नहीं जाना
और न  ही कोई भी साथ जाते हैं   ।

रिश्तों के बंधनों में फिर भी लोग
जिन्दगी भर ही जकड़े रहते हैं ।

सारी उम्र जोड़ने में कट जाती है
उम्र हर क्षण ही घटती जाती है ।

चाहे जिन्दगी के आखिरी पड़ाव हो
लालसा पर पीछा नहीं  छोड़ती है ।

हसरतों के लालच में यूँ ही बंधे रहते  ।
शायद यही जीवन की कर्मठता है ।

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