उम्र गुजर जाती है हम सबों की
बेहिसाब हसरतें पूरे करते करते ।
रह जाती है जीवन की सभी
यही पे कही अनकही हसरतें ।
सबको पता है एक दिन वो भी
खो जाएँगें दुनियाँ की भीड़ में ।
छूट जाएगी रिश्तों की सारी बंधनें
जीवन के इसी बीते हुए लम्हे में ।
लेकर साथ कुछ भी नहीं जाना
और न ही कोई भी साथ जाते हैं ।
रिश्तों के बंधनों में फिर भी लोग
जिन्दगी भर ही जकड़े रहते हैं ।
सारी उम्र जोड़ने में कट जाती है
उम्र हर क्षण ही घटती जाती है ।
चाहे जिन्दगी के आखिरी पड़ाव हो
लालसा पर पीछा नहीं छोड़ती है ।
हसरतों के लालच में यूँ ही बंधे रहते ।
शायद यही जीवन की कर्मठता है ।
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