Friday 30 March 2018

सुनी गोद

रीमा की अभी अभी शादी हुई ही और वो बच्चे को पाने की चाह बेकरारी से करने लगी । दिन में हर समय अपने बच्चे के नाम रखने का चुनाव करती रहती ।कभी सोचती संध्या तो कभी वर्षा , कभी पायल । रीमा बच्चे के मीठे ख्वाब में डूबी रही और दिन महिने बीतते गए परंतु अब तक उसकी आंचल सुनी ही रही ।
  इस बीच जिसके भी बच्चे का नामकरण होता वो पट से कहती ये तो मैंने चुना था नाम, तूने  (आपने)कैसे रख दिया ।
आए दिन वो इसी बात पर सबसे लड़ पड़ती ।
इधर हर तरह से इलाज करने के बाबजूद रीमा की गोद खाली ही रही ।डॉ भी परेशान और आश्चर्यचकित थे क्योंकि कोई भी कमी पकड़ में न आ रही थी ।
   बच्चे की चाह ने रीमा के स्वभाव में तल्खी ला दी थी ..
किसी के घर में बच्चे की किलकारी सुनती तो वो जल उठती,
एक दिन उसके के दूर के भाई राकेश आए । उसने देखा बच्चे की अत्यधिक चाह में ही  रीमा का स्वभाव बिगड़ गया है ।
राकेश ने रीमा को बहुत समझाया ,उसने कहा ये छोटे नवजात शिशु का क्या दोष जो तुम इससे जलती हो ?
जाने क्या कमी हुई अगले जन्म में जो अब तक तुम्हारी गोद सुनी है? कमसे कम इस जन्म में ऐसी गलती न करो जो अगले जन्म में भुगतना पड़े ? इस नन्हें मुन्नी से स्नेह करो तो क्या पता तुम्हारे घर भी फूल खिल जाए?
राकेश की बात सुन रीमा पश्चाताप के ज्वाला में जलने लगी ।
उस दिन के बाद वो कभी किसी से नामकरण को लेके न झगड़ती ।सबके बच्चे से खूब स्नेह करती । ग्यारह साल बाद ऊपरवाले ने उसकी सुनी गोद भर ही दिया  ....

Monday 26 March 2018

वो रात

सबके जीवन में ऐसी सुहानी वो रात आती है  जो दो अंजान लोगों को हमेशा के लिए एक बना देते ।एक ही रात में जिन्दगी के मायने बदल जाते ।दो होकर भी .. एक ही सोच ,जरूरत  महत्वाकांक्षा,  गम और खुशी सब कुछ एक दूजे से जुड़े होते ।
 समय बदलने के साथ कई ऐसी रातें आती जो स्मृति पटल पे कब्जा कर लेती ।जेहन से भूलने का नाम ही नहीं लेती ।
पर कुछ ऐसी भी वो रात आती जो जीवन भर आत्मा को तड़पाती है ।मन छटपटाता पर उस दर्द से निकल ही नहीं पाता ..
मेरे जीवन के भी न भूलाने वाली वो रातें हैं ..
बिटिया की शादी की वो रात की खुमारी में डुबी ही थी कि सहसा नियति ने एक ऐसे दर्द भरी वो रात ले आई जिसके गम में आजतक डूबी हूँ ..
  मेरे पापा देहरादून आए थे ..खूब भले चंगे थे ।मेरे घर दो दिन रहे फिर भाई के घर चले गए ।अभी एक दिन ही बीता था ।दूसरे दिन रात 12 बजकर 26 मिनट पर भाभी का फोन आया कि पापा को गैस का प्रोबलेम हो रहा , जिजाजी कोई दवा बता दीजिए।इतने में पापा ने कहा डॉ साहब को बुला लो ..पापा के आज्ञा पे मेरे पति चले गए ।इनका फोन भी छूट गया ..
मैंने सोचा आ जाएँगें ।लेकिन समय बीतता  गया ..इनका कोई पता नहीं ..अब मेरी बैचेनी बढ़ती जा रही थी ..
घर से भाई का फोन आने लगा, सब मुझे पूछ रहे...
मुझे तो कुछ पता ही नहीं .. उस रात की मेरी छटपटाहट, मेरी लाचारी व्यक्त करना समझ से परे..
मैं क्या करूँ? बगल में बेटा जो 12 बजे सोया था । अगले दिन एनवल एक्जाम के फिजिक्स का पेपर था ..कोई भी नहीं जिसको सहायता के लिए पुकारूँ .. रात के 2बज रहे थे।
लगभग तीन बजे रात मेरे भाई का गौरखपुर से फोन आया पापा वेन्टी लेटर पर हैं ..अब तो मैं बहुत ही घबरा गई ..
 भाभी के घर पर भी किसी को कुछ नहीं पता ..
दरअसल मेरे पति पापा को देखते ही बहुत चिंतित हो गए थे ..
पापा को लेके भाभी के साथ बड़े नर्सिंग होम चले गए जहाँ उन्हें "एम आई "होने का डॉ टीम ने घोषित कर दिया था ।
इनके पास फोन तो था नहीं, और फिर डाॅ के निर्देश पर दवाई आदि के इन्तजाम में बिजी हो गए ..
भाभी मेरे भाई जो बाहर थे उनको वहाँ की स्थिति का सब जानकारी देने में लगी थी क्योंकि वो भी डॉ है..
 हमसब को कुछ भी कहने की किसी को फुरसत नहीं हुआ ..
खैर 4बजे पापा ने अंतिम साँस ली ..हमें तब बुलाया गया जब सब कुछ खत्म हो चुका था ..उस दर्द भरी रात की बेचारगी मेरे दिल को आज भी नश्तर चुभा रही...
अगले दिन शाम तक ही सब पहुँचे ।हरिद्वार ले जाते फिर रात हो गई ..हम औरतों को कोई जाने नहीं दे रहा था ,फिर भी जबर्दस्ती हम औरतें चली गई ।उस रात की मेरी व्यथा को वर्णन करना मुमकिन नहीं ।
हम सब रात में ही हरिद्वार घाट पर नहाने माँ को लेके गए ..
वहीं माँ ने जो अपने कंगन उतारा और अपनी गौरी जी को जल में प्रवाहित किया  .. उसे देख मेरे नयनों से गंगा  यमुना की धारा बहने लगी ..लग रहा था कलेजा अब फट जाएगा ।
आज तक मैं उस दृश्य को सोच सोते से जाग जाती हूँ ..
"वो रात" जिसने हम सब को अनाथ बना दिया था ,जीवन में शायद कभी न भूला पाउँगीं ..

Saturday 24 March 2018

पुरूषों पे भारी पहाड़ की नारियाँ

कुछ बातें समृति पटल पे हमेशा अंकित रहता ,जिसे हम चाहकर भी नहीं भूला पाते...
पहाड़ पर बिताए कुछ वर्षों में समझने का मौका मिला था वहाँ के भोले भाले लोगों के जिन्दगी के बारे में ..
   मेरे पति की पहली पोस्टिंग उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ी इलाके में हुई थी । इससे पहले मैं कभी पहाड़ घुमने नहीं आई थी ।सो तनिक ज्यादा ही उत्साहित था मन ।बस से सर्पीलि पगड़ंड़ियाँ बहुत ही सुन्दर दिख रहा था ।चार पांच घंटे के सफर के बाद हम गंतव्य तक पहुंच गए ।
पहाड़ से घिरा वो बड़ा प्यारा कस्बा था ।हम रोज शाम  को उँचे नीचे पगड़ंड़ियो में टहलने जाते थे । हरे हरे पेड़, पहाड़ी फूलों से भरे रास्ते बड़े प्यारे लगते थे।
   एकदिन मैंने पति से बताया मुझे पहाड़ के गाँव देखना है ।पति ने समझाया नहीं जा सकोगी पैदल ।
परंतु मुझे भी जिद्द सवार था ..देखना ही है गाँव ।
पहाड़ के गाँव रोड़ से लगा हुआ कम ही होता है, या तो काफी नीचे घाटी में ,या फिर काफी उँची चढ़ाई पर ।
खैर मैं जिस गाँव को देखने जा रही थी, वो काफी चढ़ाई पर था ।
पतली और कंकड़िली पगड़ंड़ियो पर चलते चलते मेरे पसीने छूट रहे थे ।
चेहरा लाल हो रहा था ।पर मैं एक निसाश में चढ़ती जा रही थी । चलते चलते मेरे दम फूलने लगा । मेरे पति ने समझाया छोड़ दो, लौट चलते हैं । पर मेरे इरादे अड़िग था ।धीरे धीरे पगड़ंड़ियों को पार कर गाँव पहुँच ही गई ।
गाँव में लोगों के घर देख अचंभित रह गई ।घर में सभी सूख सुविधा था ।मैंने पूछा कैसे ये सारे समान लाते हो, उन्होंने कहा सिर पर ढ़ोकर लाते हैं,बड़े समान खच्चर से आता है ।
मैं फिर वहां की औरतों से बातचित कर ,उनकी जिन्दगी के अनछुए पहलू को जानने की कोशिश करने लगी ..
उसने बताया हमें बचपन से ही पढाई लिखाई के साथ खेती बाड़ी, गाय बकरी पालने व दूध निकालना, जंगलों से लकड़ी लाना..सभी काम को करने के लिए सिखाया जाता है ..
मैंने कहा यहाँ मजदूर मिलता नहीं फिर खेती कैसे करते
उसने कहाँ हम सभी आपस में मिलजुल कर करते हैं सभी काम ।जिस दिन जिसकी बारी आती गाँव के सभी औरतें उसकी मदद कर देती .. इस तरह से खेती हो या कोई और कार्य मिल जुलकर आसान हो जाता ..
हम सभी काम में निपुण होतीं हैं ..आदमी आलसी होते हैं आप कह सकते हैं ...
यहां की मेहनतकश नारियाँ पुरूषों पे भारी होती है ...
कठिन परिश्रम के हिसाब से पहाड़ की स्त्री की तुलना मैदान के पुरूषों के बराबर माना जा सकता है ..
सचमुच उनकी जिन्दादिली व खुशमुजाजी को सलाम ..
गाँववासियों के आदर सत्कार से मैं अभिभूत हो गई ..रास्ते के सारे थकाई नदारद हो गई ..

Thursday 22 March 2018

बूँद बूँद घड़ा भरे

🌿🌿🌿🌿🌿
जल बिहिन जीवन
कल्पना से है परे ।
प्यासे तरसेंगे जीव
बिन जल धरा पर ।
वृक्ष बेल लताएँ
सब मुरझा जाएँगें ।
धरती बंजर हो जाएँगी
शेष न बचेगी जिन्दगी ।
जितनी हो जरूरत
इस्तेमाल उतना हो ।
बूँद बूँद घड़ा भरता ..
प्रयास सबका हो
जल बर्बाद न हो ।
ना समझ मानव
की बेवकूफी से
जल हम खरीद रहे ।
जल संरक्षण है
अति आवश्यक ।
बारिश के पानी को
एकत्र रखने का
सही इन्तजाम हो ..
झील तालाब कुएँ का
बारिश से पहले सफाई हो ।
जल के प्रचुरता से
जब धरा लह लहाएगी ।
चमन खिल उठेगा
जिन्दगी मुस्कुराएगी ।
🗺🗺🗺🗺🗺🗺🗺🗺🗺
विश्व जल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

स्वर्णिम बिहार

ये स्वर्णिम बिहार है
जहाँ गौतम बुद्ध
और महावीर ने
शांति और अहिंसा
का संदेश विश्व में
फैलाया था ..
ये चंद्रगुप्त और
चक्रवर्ती अशोक की
कर्मभूमि है..
जिसने मानवता के
मूल्य सिखाया था..
ये मंडन मिश्र और
महाकवि विद्यापति
की धरा है जिसके कंठो में
 सरस्वती बसती थी .
ये स्वर्णिम बिहार है ..
जहाँ शिक्षा ने
अलख जगाया
नालंदा विश्वविद्यालय
विश्व को ज्ञान
की रौशनी दे
राह दिखाया था
ये स्वर्णिम बिहार है ..
जिसने अंग्रेजी हूकुमत
को नाको चना चबाया था ..
वीर कुँवर सिंह ने
आजादी की बिगुल
 बजाकर अंग्रेजों को
ललकारा था ..
ये स्वर्णिम बिहार है ..
गाँधी जी ने आजादी
की पहली लड़ाई छेड़ी थी ..
डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे
विभूती की जन्म भूमि है ..
ये वही धरा है जहाँ विद्वता
कण कण में बसती है  ।।
यहाँ के सुविधा विहिन
 वंचित बच्चे उच्च संस्थान में
अव्वल आके सबको चौकाते हैं ।।
ये स्वर्णिम बिहार है
 जहाँ के हरे भरे रहते हैं
 खेत और खलिहान ..
 गंगा ,कोशी ,गंडक व सोन
 धरा को सिंचिंत करती है ।।
 यहाँ की मधुवनी पेन्टिंग
विश्व भर में है प्रसिद्ध ..
ये यही स्वर्णिम बिहार है ..
🎺🎺🎺🎺🎺🎺
सभी को बिहार दिवस की बधाई

Wednesday 21 March 2018

बन जाती नई कविता

उषा आती रवि के रथ पर
गगन सुरभित बहुत निखरे
पंछियों के कलरव मन हरे
सोने से पर्वत मन लुभाये
पर्वतों पे जब रश्मि बिखरे ..
चीड़, देवदार पर छनकर
आती किरणें जब सुनहली
वादियों में खिल जाते फूल
मुग्ध मन जाते खुद को भूल
तो पन्नों पे बिखर जाती है
कोई नई कविता...

मन में उठे कोई हलचल
याद आए कोई पल पल
लेने लगे जज्बातें हिलोरें
छलक जाते प्रीत के प्याले
बातें करें नैना दर्पण निहारें
तो पन्नों पे बिखर जाती है
कोई नई कविता...

दिल में उमंगें जब मचलने लगे
प्रेम रस की फुहारें बरसने लगे
करने लगे दिल जब सरगोशियाँ
प्रिय मिलन की आस जगने लगे
तो पन्नों पे बिखर जाती है
कोई नई कविता ....

सिंदुरी शामें जब सजने लगे
जीवन में कई रंग भरने लगे
प्रियतम को मन पुकारने लगे
तन्हाईयाँ डराने लगे रातो में
तो पन्नों पे बिखर जाती है
कोई नई कविता...

विरहन बनकर जीना पड़े
वियोग का दंश सहना पड़े
प्रेम का प्याला हो जब खाली
काँटो भरी राहों से गुजरना पड़े
तो पन्नों पे बिखर जाती है
कोई नई कविता ..

खुशियाँ चली जाए रूठकर
अरमान रह जाए जब अधूरे
बिखर ही जाए सपने सारे
जिन्दगी में न कोई उम्मीद ,
न ख्वाहिशों के रंग ही रहे
तो पन्नों पे बिखर जाती है
कोई नई कविता ...

छा जाते गमों के जब बादल
दामन को छोड़ जाते उजाले
अंधियारी रातें डरावनी लगे
नैनों में झील नीर के भरने लगे
तो पन्नों पे बिखर जाती है
कोई नई कविता ..

शब्दों की लड़ियाँ

👸👸👸👸👸👸
ढूंढ रही कुछ ऐसे शब्द
लिखूँ ऐसे जो दिल छू ले
जो हो कल्पनाओं से परे ..

यथार्थ के स्याही में डूबोकर
भावों के कलम से नेह स्नेह
का कोई गीत रचूँ हृदय के
कोरे कागज पर ..

बनाऊँ शब्दों की ऐसी लड़ियाँ
जो मिटाएँ दिलों की दूरियाँ
रहे न कोई एक दूजे से रूठकर ..

गढ़ लूँ मैं कोई ऐसे विचार
जो दिलों में अलख जगाकर
नए युग का करे संचार ..

शब्दों की माला पिरोकर
जोड़ लूँ मन से मन को
नफरतों को मिटाकर
बहा दूँ सबमें प्रीत की धार ..

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विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ सभी को

प्यारी गौरैया

आ जाती वो प्यारी सी गौरैया
मेरे बालकोनी के पियुपी में
 बनाने को हर साल घोसला
नर और मादा बनाती परिवार ।
 जल्दी ही घोसले में छोटे छोटे
गौरैया के बच्चे भर जाते ।
काम वाली भन भन करती
उसके बीट को साफ करने में ।
 दिनकर जी जब कहर बरपाते
लू की थपेड़ों से बचकर चली जाती
 आश्रय ढूंढने ठंड़ी छाँव में ।
इधर कितने दिनों से दिखती नहीं
वो प्यारी सी गौरैया नजर न आती ।
 सुनने को तरस गई चुन चुन की धुन
फुद फुद कर दाना चुगना अब न दिखता ।
 कंकरिट के बिछे जालों व
 पेड़ों की कटान से नीड़ छिना ।
 खेतों में विषैले खाद से मर्माहन्त
जहरीले दाने चुगकर हो गई वो लुप्त ।
आंगन में फुदकना फिर न दिखेगा
वो फुरतिलि सी गौरैया की ,
जल्दी ही हो कोई उपाय
बची रहे हमारी प्यारी गौरैया ..

 

Tuesday 20 March 2018

बिन बूँदों के तरसे खेत

रामू बहुत ही मायूस है ।उसके खेत जल के बिना सूख रहा है।मन ही मन वो सोच रहा, अगर फसल की पैदावार अच्छे से नहीं आएगी तो हम सब साल भर कैसे गुजारा करेंगे ? खेती ही एकमात्र सहारा है ।परिवार के सारे खर्चे, बच्चों की पढ़ाई सब कुछ तो इसी पर निर्भर है !!

उसके पड़ोसी तो धनी है हर खेत में बोरींग लगा रखा है । खेतों की सिंचाई अच्छे से करता ..बदले में धरती माँ भी खूब उपजती । आजकल सब कुछ में पैसों की ही जरूरत होती है । बगैर पूँजी के तो खेती में भी हाथ ही मलना पड़ता .. गरीब किसानों का हाथ बिन पूँजी के  खाली ही रह जाता !!

रामू के पड़ोसी मोटर भी लगा रखा है ..जितने भी पानी की खपत होती, मोटर से खींच सिंचाई कर लेता ।बिजली बील कितना ही आए, कोई फर्क नहीं पड़ता ।
हर जगह पैसे वालों की ही तूती बोलता है ।

आवश्यकता पूरी होने के बाद भी वो जरूरत से ज्यादा
पानी बरवाद करता .. ये देख रामू को गुस्सा भी आता और खुद पे तरस भी आता ।

    एक दिन वो हिम्मत करके गया उससे कहने..देखो भाई पानी क्यों बहाते हो? बिन पानी के मेरे क्यारियाँ सूख रही है ..थोड़ा थोड़ा मुझे भी पाइप लगाने दोगे तो मेरा भी भला हो जाएगा !!

लेकिन आजकल लोग उपदेश देने में देरी नहीं करते परंतु नेकी करने में पीछे हट जाते हैं ..
  बेचारे रामू अब आकाश की ओर टकटकी लगाके रोज  देखता । क्या पता ऊपर वाले को तरस आ जाए? बरसा दे बूँदें...
मिल जाए सूखे खेतों को पानी ..
     
 

Monday 19 March 2018

अर्धांगिनी

लगभग रात्रि के दो बज रहे थे.. एकाएक मोबाइल की घंटी बजी मैं और मेरे पति आशंकित हो कर एक दूसरे का मुँह देखने लगे । फिर उधेड़ बुन में हिचकिचाते हुए मेरे पति ने फोन उठाया । उधर से पड़ोस के ही शर्मा भाई साहब कांपते स्वर में  बोले डॉ साहब मिसेज को साँस लेने में तकलीफ हो रही है , थोड़ा आप देख लेते ..मेरे पति ने कहा जरूर अभी आते हैं ।
उन्होंने अपना बैग स्टेथो वगैरह लिया और चले गए ..
डॉ साहब के जाने के बाद मैं सोचने लगी पता नहीं क्या हुआ?
शाम को ही देखा था भली चंगी थी
इतने में डाँ साहब आ गए बोले गाड़ी का चाभी दो भाभी जी बहुत सीरियश हैं । मुझे धक्का सा लगा ..मैं सोते बेटे को अकेले ,खुले घर छोड़कर चली गई ..
 डॉ साहब को शर्मा भाई साहब ने कहा आप जल्दी से अंदर आ जाईये ..मैं भी पीछे पीछे चली गई ..वहां का नजारा देख
रोंगटे खड़े हो गए ..सब कुछ खत्म हो चुका था ..
भाभी जी ओंधे मुँह लेटी थी और मुँह से लार निकल रहा था ।
डॉ साहब ने कहा उनको कार्डियक अरैस्ट हुआ जिसमें इलाज के लिए दस मिनट भी मौका नहीं मिलता  ...
    शर्मा भाई साहब अपनी पत्नी के साथ इतने बड़े कोठी में रिटायर मेन्ट के बाद अकेले रह रहे थे ।बच्चे बाहर सर्विस करते हैं ..
भाभी जी काफी हेल्दी थी । मेरे पति डॉ साहब और शर्मा भाई साहब ..दोनों से भाभी जी हिलेगी भी नहीं ..ये सोचकर  मैं पड़ोस से बुलाके लाई और लोगों को ...उनके तसल्ली के लिए डॉ साहब ने सारे परीक्षण किए  .. फिर वो दबे जुबान से बच्चों को फोन करने के लिए बोल दिए .. बेचारे शर्मा जी कांपते स्वर  में बेटे बेटी को फोन करने लगे ..कहीं पढ़ा था मैंने गैर हाजिर कंधे वो हकीकत में आँखों के सामने था...सब लोग आए थोड़े
रूक के चले जाते ।बच्चों को आने में समय लगा.. बेचारे शर्मा जी शोक में डूबकर भी अकेले ही सब कुछ कर रहे थे ..रो रो कर सब को कहते .. सही मायने में अर्धांगिनी थी वो.. मेरे कंधे से कंधा मिला कर हर सुख दुख में साथ दी .. बिन कुसुम के कैसे जियुँगा ...
 

Saturday 17 March 2018

चुगली


😬😬😬😬
राधिका जैसे ही मेरे घर आई सब बच्चे हँसते हुए अपने कमरे में चले गए ..क्योंकि उनकी चुगली करने की आदत से वे पहले ही वाकिफ थे ।
  राधिका भाभी के आते ही प्रेम से गले मिली फिर सोफे पे बिठा कर कुशल क्षेम पूछा ..कहो भाभी जी कैसी हो? बड़े दिन बाद दिखाई दी..
अरे मीरा जीजी क्या बताऊँ ,मेरे घर ननद परिवार सहित आई हुई थी ।उसी के स्वागत सत्कार में लगी थी ।
क्या बताऊ मेरे ननद के बच्चे बड़े
शरारती घर को तहस नहस करके रख दिया .. जरा सी भी बच्चे को कुछ कह देती मेरे पति तो उबल पड़ते ।
आज पिन्ड़ छुटा गई वो.. देखो न आज भी पति से झगड़ा हो गया ..
मैंने कहा मेरे पास संदुक में साड़ियाँ पड़ी है उसी में से दे देती हूँ, बच्चे को पैसा पकड़ा दुँगी क्यों फालतू पैसे बरवाद करना..इसी पर भड़क गए मेरे पति ,कहने लगे मायके के कोई आए तो इतने महंगे गिफ्ट में पैसे जाया जो करती वो तुम्हें नहीं दिखता!! मैं तुम्हारी संदुक की पुरानी साड़ी नहीं दुँगा ...
बताओ जीजी मेरी क्या गलती?
    आते ही राधिका बहन टेपरेकार्डर की तरह शुरू हो गई ..
मैंने तिरछी नजर से मुस्काते हुए कहा जाने दो भाभी ..कभी कभी भाई साहब का बात पूरे होने दो आखिर बहन ही तो है ।राधिका थोड़ी सकुचा गई .. इतने में चाय पानी ले आई ।
चाय पीते पीते फिर कहने लगी अरे मीरा जीजी आपने सुना कल शर्मा भाभी के घर बहुत जोर जोर से आवाज आ रही थी .. लग रहा था सास बहू में झगड़ा हो रहा था  ।
मैंने बात टालने के लिए कह दिया ..
जाने दो न भाभी ..सबके घर थोड़े बहुत तो होता ही है।बहुत सारे बरतन एक साथ हो तो आवाज होगी ही ..
राधिका भाभी का मेरे हाँ में हाँ न मिलाने से मुँह लटक गया .. अपना सा
मुँह ले बोली चलती हूँ  ।
मैं भी रोज दिन के चुगल खोरी से आजिज हो गई थी सोची आज चुपचाप नहीं सुनना ,इसे बता ही दू सही बात ...
 
    

Tuesday 13 March 2018

🌹बेमेल विवाह 🌹

आज रीमा की शादी है ।गाँव के सभी लोग दुल्हा देखने उमड़ पड़े ।औरतें आपस में कानाफूसी कर रही न जाने रीमा का दुल्हा कैसा है ?जब से शादी पक्की हुई, उसकी माँ रो रो के बेहाल है..छाती पे मुक्का मार मार कर अधमरी सी हो गई ।
रीमा के पापा ने किसी की एक न सुनी .. बोले जो उसके भाग्य में लिखा था सो हुआ ।रिश्ते पक्के करने के बाद तोड़ना बिरादरी में नाक कटाना है ।लड़का काला है तो क्या हुआ, जमीन तो है ।कलम की कमाई का क्या भरोसा ? खेती बाड़ी तो है ,लड़का बी फेल है कोई अनपढ़ तो नहीं ..
अपनी रूपमती और तेजस्वनी बेटी को देखते ही रीमा की माँ फफक पड़ती ।कोई भी जाता उसके पास उसके आँसू से पिघल जाता ।सबने बहुत समझाया रीमा की माँ को पर वो किसी का न सुनती रोती ही रहती ..अंत में रीमा ने अपना मन कड़ा किया और माँ को समझाने लगी ..अगर आप रोओगी तो मैं शादी नहीं करूँगी ।मेरे किस्मत में जो था वो हुआ ।मैं पापा का सर नहीं झूकने दुँगी समाज के सामने, इसलिए शादी जरूर करूँगी । परंतु आप विश्वास रखो मुझ पर मैं अपने जीवन को खुशियों से संवार लुंगी ..रीमा की बात से माँ चुप हुई ..और वो घड़ी आ ही गई जब बारात लेके दुल्हे राजा आए..
दुल्हा तो सचमुच रीमा के लायक नहीं था..लेकिन अच्छा इंसान था .. रीमा को हमेशा खुश रखता और परिवार के खुशहाली के लिए खूब मेहनत भी करता ..
दोनों पति पत्नी ने अपनी सारी मुश्किलों को मिलके हल  करते रहे।रीमा ने कभी पति को एहसास नहीं होने दिया कि वो किसी भी तरह कमतर है रीमा से ।
रीमा भी पति के मेहनत के रूपये जाया नहीं करती ।एक एक पैसे का सदुपयोग करती और बचाकर रखती।
जल्दी ही उसके आंगन में दो फूल खिले ।सुन्दर सुन्दर दोनों बेटे को पाकर वो बेहद खुश रहने लगी।परन्तु उसने मन ही मन ठान लिया था अपने बच्चे को उच्च शिक्षा दिलाने का ..।इसके लिए पति पत्नी ने मिलकर
शुरू से बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने लगे.
रीमा पढ़ने में अच्छी थी सो बच्चों को भी मन से पढ़ाया
आज दोनों बेटा उसका डॉ और ईन्जिनियर है..
रीमा के सुखी संसार देख उसकी माँ भी आनंदित रहती ...

Monday 12 March 2018

एक दूजे के पूरक पति पत्नी

प्रभा जबसे शादी कर ससुराल आई ,सूरज निकलते ही बिस्तर छोड़ देती ।सुबह सुबह नित्य क्रिया से निबटते ही नहा धोकर
घर में बने मंदिर में पूजा कर आरती शुरू करती.. घर  के सभी लोग उसकी सुरीलि आवाज से मुग्ध हो अपने अपने बिस्तर छोड़ मंदिर में आरती लेने आ जाते ।सबको आरती और प्रसाद दे प्रभा अपने पति महोदय के पास जाती ..अलसाये नितिन आरती ले कर प्रभा से झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलता ..तुम इतनी जल्दी चली जाती मेरा मन नहीं भरता ..
सुबह सुबह अर्ध निंद्रा में तुम्हें देखने को जी चाहता, पर तुमको मेरी फिकर नहीं ..अरे अरे क्या कह रहें हैं आप ..ससुराल में बहू देर से सोये अच्छा नहीं  लगता ..आप भी उठ जाओ मैं चाय बनाती हूँ मम्मी पापा इंतज़ार करते होंगे ..मन ही मन नितिन बहुत खुश होता ..सोचता प्रभा कितनी अच्छी है, इसने आते ही घर को स्वर्ग बना दिया ।मेरे मम्मी पापा का भी कितना ख्याल रखती है ।
प्रभा जैसी बहू पाकर उसके सास ससुर, देवर ,ननद सभी बहुत खुश थे।उसने आते ही सारा घर संभाल लिया ..
प्रभा और नितिन के तीन बच्चे थे ।सबको प्रभा ने बहुत अच्छे संस्कार दिए ।सब पढ़ने में भी बहुत होशियार थे ।सब अच्छे ओहदे पाकर सट्ल हो गए ।
धीरे धीरे प्रभा की हड्डियाँ कमजोर होने लगी ..जोड़ों के दर्द से
परेशान रहती ।अब वो तड़के सुबह भी नहीं उठ पाती ..
परन्तु नितिन प्रभा के जैसे सब कुछ संभाल लिया ..
सुबह सुबह चाय बना प्रभा को जगाता और ताजगी भरी प्यार की झपकी से सहलाता तो अनायास ही प्रभा की आँखें खुशी से नम हो जाती । सोचती कितनी भाग्यशाली हूँ मैं नितिन को पाकर .. कितना वो ख्याल रखता ...
सचमुच पति पत्नी गृहस्थी की गाड़ी के दो पहिए होते ..
दोनों एक दूजे के पूरक भी ..
 

Friday 9 March 2018

नारी समाज की नींव

आज महिला दिवस पर सबको मेरी ओर से बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।
महिला दिवस सेलिब्रेट(समारोह, उत्सव )करने या खुशियाँ मनाने का दिन भले ही एक हो पर प्यार और सम्मान उसे हरदिन मिले तभी महिला दिवस मनाने का औचित्य है । परिवार की नींव होती हर औरत, जिस घर में न हो नारी तो कहते हैं भूतों का घर है ..
जहाँ औरतें खुश रहती वो घर खुशहाल रहता ,शान्ति और स्नेह की वर्षा होती ..
प्राचीन युग में औरतों की शिक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया ..
सामाजिक कुरीतियों ..बाल विवाह, पर्दा प्रथा, सती प्रथा आदि की शिकार रही महिलाएं,जिस कारण उसका व्यक्तित्व उभर नहीं पाया ।
परंतु ईश्वर प्रदत्त गुण बेसुमार है हर नारी में ।प्यार ममता व त्याग जैसे अमुल्य गुण की धनी होती हैं महिलाएँ  जो अन्य प्राणियों से उसे अलग करता ।सृष्टि की निर्मात्री स्त्री को देव भी पूजते ।
परंतु कुत्सित मानसिकता के दंभी पुरूष महिलाओं पर अत्याचार करते और अपने क्षुधा पूर्ति का सामान भर समझते ।आज भी दहेज के लालची बेटियों को जला रहे ।
कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य पाप पे रोकथाम नहीं हो पा रहा ।
आज भी बेटियों की पढ़ाई खानापूर्ति के लिए करते हैं ।जबकि बेटियों को ढ़ंग से जहाँ पढाया जाता वो बेटे से अच्छा प्रदर्शन करती ।
जबतक निर्भया जैसी घटनाओं पर अंकुश न लगे, दहेज प्रथा का अंत न हो तबतक महिला दिवस मनाने का औचित्य नहीं...
  समाज की उन्नति तभी जब महिलाएँ भी कदम से कदम मिला कर चले ।सरकार को भी बेटियों की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष कदम उठाना चाहिए ।बहुत से लोग आर्थिक अभाव के कारण भी उच्च शिक्षा बेटियों को दिलाने से मजबूर होते हैं ।बैंक से कर्ज लेन की हिम्मत नहीं होता है क्योंकि सरकार ने एजुकेशन लोन का ब्याज सबसे अधिक कर रखा है ..जबकि कार, टीवी कुछ भी ले सकते हैं सब ।उसका ब्याज बहुत ही कम है, लगभग एजुकेशन लोन का आधा ।
सरकार का ध्यान मैं इस ओर आकृष्ट कराना चाहती हूँ ।
   आज विश्व महिला दिवस पर सभी प्रण ले नारी को भी मिले समाज में बराबरी का दर्जा । हर महिला को अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता के साथ साथ मनपसंद केरियर चुनने का अधिकार होना चाहिए ।उसके साथ अपने ही घर में विभेद होता है। कई बार माता- पिता ही बेटे- बेटियों में फर्क करते हैं ।ऐसा नहीं होना चाहिए ।दोनों की शिक्षा समान रूप से होना चाहिए ।आज युग परिवर्तन हो चुका है महिला ने हर क्षेत्र में अपने को सफल साबित किया है।जरा सा सहयोग से वो आसमान छू सकती है ..
वहीं मैं सभी बिटिया को भी ये संदेश देना चाहती हूँ ..वो पंख तो जरूर फैलाए लेकिन पैर जमीन पर रखें ।अपने पारिवारिक संस्कार को न भूलें ..अपने लक्ष्य से न भटके ।अगर नारी आत्म निर्भर हो तो बहुत सी बाधाओं से मुक्ति पा सकती है ,साथ ही मन पसंद जिन्दगी भी जी सकती है ।और अंत में सभी महिलाओं से भी ये गुजारिश करना चाहती हूँ ..वो हर रिश्ते का सम्मान करे ।किसी भी माता- पिता से उनके बेटे को दूर न करे और न बहनों का मायका छिने तभी महिला दिवस की सार्थकता होगी..##

Wednesday 7 March 2018

फरियाद

जब कोई न सुने दर्द की चित्कार
बेसहारा  के हो न कोई मददगार
अपनों से भरे जहाँ में मिले न पनाह
आगे न आए कोई देने को सलाह
तो सुन के करूण पुकार आते जरूर

रक्षा करने चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..

अबला नारी की इज्जत जब हो तार तार
करें पापियों सब मिलकर अत्याचार
बनाकर रख दे जिन्दगी कोई नर्क समान
बन जाए जीवन जब कठिन लाचार
मन से सुमिरन करने पे आते हैं जरूर 

 उद्धार करने को चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..

जीवन में हो जब दुखों का सागर
समझ में न आए कैसे करें पार
संकटों का पहाड़ चहूँ ओर हो घिरे
सूझे न कोई रास्ता दिखे न मंजिल
सुनकर फरियाद आते हैं जरूर 

देने को सहारा चक्रधारी कृष्ण मुरारी

अदृश्य रहकर भी वो रखते हैं सब पर नजर
हिसाब किताब सब गलतियों की करते सारे
फिर भी लोग बुरे कर्मों से बाज नहीं आते  
जिसकी जैसी करनी फल मिलता जरूर
कर्मों के अनुरूप ही देते हैं सबको दंड 


मुरलीवाले चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..

Monday 5 March 2018

मुक्त होना बेटी की उत्तरदायित्व से

बेटी के उत्तरदायित्व से मुक्त होना#
रमा और विष्णु के तीन संतान हैं ।दो बेटा एक बेटी ।ईश्वर के कृपा से तीनों ही संतान संस्कारी और मेधावी हैं ।  आम लोगों की सोच के अनुरूप विष्णु ने बेटे की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया  बड़ा बेटा अच्छे काॅलेज से मैनेजमेंट कर रहा और दूसरा बेटा ईन्जिनियरिंग कर अच्छे काॅलेज से गेट कर रहा किन्तु बेटी को बगल के स्कूल से पढ़ाकर घर से ही प्राइवेट से बी ए तक  पढाकर घर बैठा दिया ।बेटी पढ़ने में अच्छी थी वो भी उच्च शिक्षा लेना चाहती थी ..परंतु रमा विष्णु का कहना था बेटी पराये घर चली जाएगी उसकी पढ़ाई में खर्च करने के बजाय हाथ पीले करने में ही भलाई है ..
सबने उसे समझाया बिटिया को आगे पढ़ा लो वो अपने पैर पे खड़ी हो जाएगी तो अच्छे से अच्छे वर मिल जाएँगे पर उन लोगों ने किसी की नहीं सुनी ।
कुछ समय बाद पास के गाँव में बेटी रिया की शादी करवा दी .. लड़के वाले आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर हैं ..पर बेटा देखने में सुंदर और  मेधावी भी है ..।वर पक्ष बहुत ही
आदर्शवादी हैं उसने कोई भी तरह का मांग नहीं रखा..वो इसी बात से खुश हैं कि अच्छे घर की तेजस्वनी बहू आएगी तो घर में संस्कार की नींव मजबूत होगी ..विष्णु ने खूब ड़िगें भी मारी ..उसने कहा मैं बेटी दामाद के पढ़ाई में हमेशा मदद करूँगा और आपके कच्चे घर को पक्का भी करवाने में मदद करूँगा .. लड़ के वाले ने कहा आपकी जैसी इच्छा .. मेरे पास जो भी है उसी में आपकी बेटी को खुश रखने का यत्न करूँगा  ..खैर शादी हो गई ..
रमा और विष्णु तो बेफिकर होके मस्त हो गए ..सबसे कहते हम तो गंगा नहा लिए बेटी की शादी कर बहुत  बड़े उत्तरदायित्व से मुक्त हो गए ..अब भाग्य में जो लिखा रहेगा वैसी रहेगी रिया । बेटी को ससुराल भेजने के बाद झांकने भी नहीं गया विष्णु ..कोई जरूरत पूरी करने की बात तो दूर रही..लड़के वाले बहुत स्वाभिमानी हैं, उसने कभी किसी तरह की मदद की बात के लिए मुँह नहीं खोला..
ससुराल में रिया जैसे तैसे रहते हुए सास ससुर की सेवा करते हुए घर का काम करने लगी ..सास ससुर भी उसे बेटी से कम नहीं समझते ..
लेकिन रिया को एक ही गम है कि क्या माँ बाप के लिए बेटी बोझ होते जो शादी कर मुक्त होना चाहते ..
अगर मेरी पढ़ाई भैया जैसै होती तो मैं भी उच्च पोस्ट पर जरूर पहुँचती .. ये सब सोच कर उसका मन दुखी हो जाता है ..

Saturday 3 March 2018

🌷ऐसे मनाएँ होली 🌷

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होली की उल्लास में खुशियों को बाँटें
गले मिले.. लगाएँ रंग गुलाल ,अपनी बदनियती से दिल न दुखाएँ किसी के..
अमीर गरीब व जाति पाति से उठकर
हो सके तो एक दूजे के परोसे पकवान
का स्वाद भी लें और अपने घर के पकवान परोसे होली खेलने वाले टोलियों में ।
 रंग और गुलाल में न मिलाए नुकसान दायक पदार्थ । होली खेलते वक्त एक बात का खास रखें ख्याल कि किसी के आँख कान में रंग न जाए उससे काफी नुकसान पहुंच सकता है, किसी के घरों के दिवालों ,सोफे या खाने के सामग्री में रंग या गुलाल न पड़े ..किसी को नुकसान पहुँचाए बगैर
उल्लास के साथ मनाएँ होली का त्योहार ...होली हमेशा खुल्ले में खेले..
कई रंग या गुलाल में लोग नुकसान दायक केमिकल और काले रंग के मोबिल मिला देते हैं जो त्वचा के लिए हानिकारक होता है ऐसा न करें कोई
कृत्रिम कलर के प्रयोग से भी त्वचा, आँख, कान, बाल को हानि पहुँचता है।इसलिए हो सके तो बाजार में उपलब्ध हर्बल कलर का प्रयोग करें ..अगर वो महंगा लगे तो घर में बने गुलाल का प्रयोग करें ..
कई बार लोग होली के बहाने नसीला पदार्थ दूसरे के खाने में मिला देते .. जैसे भांग आदि.. ऐसा न करें क्योंकि
जिसे आदत नहीं उसके लिए आफत आ जाएगीऔर पूरे घर परेशान हो जाएगा ।कोई भी तरह के नसे का उपयोग न करें यही मेरी कामना है सबसे ...केवल प्रेम स्नेह बाँटे एक दूजे से ...