Monday 31 July 2017

मुहब्बत

अपने लिए तो सभी जीते हैं ..
कभी गैरों के लिए भी दिखा
मुहब्बत ...
तो समझोगे किसी पे स्नेह
और प्रीत लुटाके कितना
शुकुन मिलता ...
है परिभाषा प्रीत की रीत
पहले त्याग दिखाते
तो बदले में वो जान देते ...
किसी के गमों को बाँटना
और बेबसी में साथ निभाना
ही मानव जीवन की सार्थकता है ..

Sunday 30 July 2017

विश्वास

विश्वास ही है जो अंधकार
में भी प्रकाश , जड़ को भी
अवचेतन बना देते हैं ..
विश्वास ही ईश्वर के अस्तित्व
को स्वीकार्य बनाते हैं ..
विश्वास ही हर रिश्ते की
नींव है ..
इसे कभी भी किसी तराजू में
तौलना असंभव है ...
न ही इसका परीक्षण किसी
प्रयोगशाला में संभव है ...

Saturday 29 July 2017

कृत्घन

सामर्थ्य और रूतवा हो जब तक
बेटा और बहू आदर भी खूब करते हैं ।
अपने घर का गृह प्रवेश भी उन्हीं से
करा कर,घर का मालिक होने का
एहसास कराते हैं ।
जैसे ही विपदा पड़ती उनपर, दो में से
एक रह जाते तो अपने  घर में एक दिन
भी रखना गवारा लगता ।
कुछ दिन मेहमान बनाते फिर मुँह
टेढा कर घर से दूर भागते ।
कोई माने न माने बुजुर्गों का यही
हाल होता ।
कुछ बच्चे ऐसे ही होते हैं, कृत्घनता का
नंगा रूप दिखाते ।
जिस बेटा को "मनता "मांग कर पैदा
करते ..
उसकी बीबी बीते दिनों की कमियों को
गिनाती ।
एक विनतीयाँ अभिभावकों से मेरी
करो न विभेद बेटी बेटे में ..
मन से निकाल दे वो कि बेटी के घर
"ना पानी पीते "..
ये सब प्रपंच समाजिक कुरीतियों की
बेटी ही बेटा से बढ़कर फर्ज निभाती ।

 

Friday 28 July 2017

भोर

चिड़ियों के कलरव से
आँखें खुली
भोर हुई  ..
देख गगन में लाली
रवि रोशनी बिखेर
जग को जगाने की
कर रहे तैयारी ..
सुहाने ताजगी लिए
मस्त पवन के झोंके
दिल को शुकुन भरी
शितलता दे कर रहे
विभोर भोर ..
दूर कहीं मंदिरों में
गूँज रही है घंटियों
की धुन ,सुन मन जुड़
रहे अध्यात्म की
ओर..
सोचती हूँ कई बार
रात घनेरी के बाद
भोर न होते तो
सब तरस ही जाते
एक एक पल रोशनी
के लिए ..
ऐसे ही जीवन में
अंधियारी दुख दूर कर
रब भर दे ..
सुख के अनंत
उजियारे पल ..

Thursday 27 July 2017

पिता

पिता से ही हर बच्चों को, जीवन के
सब अनुभव और सीख मिलती है ।
जिन्दगी की सारी कठिनाइयों से
लड़ने की शक्ति पिता से प्राप्त होता है ।
हर बच्चों के हिम्मत और आत्मबल
के संचालक पिता ही होते हैं ।
गर पिता के हाथों की थपकी हो पीठ पर
तो हर मुश्किलें आसान हो जाती है ।
परिवार को एक सूत्र में पिरोकर रखने
डोर माँ -पिता ही होते हैं ।
मुश्किलों में साये के तरह साथ चलकर
आत्म शक्ति के संचार भर जीवन पथ
को सुगम बना देते हैं पिता ।
गर पिता न हो मायके में तो, सत्कार में
अनदेखी न भी हो, फिर भी दिल को कुछ
खटक ही जाती ।
चाहे कितना भी कोशिश कर लो
दिल का रिश्ता माँ पिता जैसा
किसी से हो ही नहीं पाता ...या यूँ कहें कि
वो स्नेह और प्यार कोई दे ही नहीं सकता !

Wednesday 26 July 2017

विश्वास


रिश्तों की गहराईयाँ परत दर परत
खुल ही जाती
हकीकत के सरजीन पर वास्तविकता
का पता चल ही जाता ।
झूठ और अविश्वास की नींव हो तो
रिश्ते के महल टूटने में देर नहीं लगता ।
गर मन में हो खोट तो चाशनी में
 डूबा रिश्ता भी बिखर जाता है ।
 त्याग और आदर से  बंधे मन,
 ही जुड़े रहते ।
बड़े से  बड़े आंधियों में भी
रिश्ते को टूटने न देते हैं।
संबंधो की गरिमा
बंधनो से आजादी में है ।
जबर्दस्ती बंधे रिश्ते में घुटन
 होने लगता है

Tuesday 25 July 2017

लाड़ली बिटिया

मेरे घर में खुशियों और
रौनकों की बहार आई है ..
बिटिया जो मिलने पास आई है ।
घर के कोने कोने से
कल कल बहती झरणे सी मीठी
धून गूँजित हो रही है ..
  हर दिशाओं से ।
सचमुच बिटिया घर को
भर देती है उमंगो और
आशाओं के असीम
  आनंदमयी क्षणों से ।
कितना अच्छा होता ?
हम रख लेते अपने
दिल के टुकड़े
लाड़ली को !
फिर चली जाएगी छोड़
मायके की दहलीज को ।
रशमों की रीत से बंधे सब
निभाना ही पड़ेगा दस्तूर ।

Monday 24 July 2017

सच्चे मित्र

  मन की खिड़की खोल लो
  जी लो हर पल खुली
  हवा के ओर..
 खुशियाँ ही खुशियाँ बिखरा है
चहूँ ओर
जुड़े रहो सब से, करो न खुद
से दूर ..
चाहे कितने ही दर्द हो जीवन में
आसपास संग जुड़े रहो ..
एकाकीपन से रहो हमेशा दूर ..
जीवन के सुख दुख बाँट लो
अपनों के संग..
सच्चे मित्र ही भर देते हैं जीवन
में उमंग ..

Sunday 23 July 2017

दौड़

आज अजीब सा होड़ लगा है
एक दूसरे को पीछे छोड़
दौड़ में आगे बढ़ने का ...
सब बेतहासा भाग रहे हैं
दूसरे को हराकर खुद को
जीत का सेहरा पहनाने का
क्यों इतने बेताब हो मानव ?
कुछ क्षण सुस्ता ले, थोड़े अपनों
की खबर ले लो ...
जिसने तुझ पर स्नेह की वर्षा की है
उनकी भी परवाह कर लो..
आखिर क्यों उसे हराना चाहते हो ?
जिसने तुझको कभी समझा ही नहीं
प्रतियोगी ..
कभी अपनों से हार कर देखो
जीतने से भी अधिक खुशियों को
को महसूस करोगे ...
जीवन में सबसे जीत जाते हैं पर
अपनों के "वार" को सह नहीं पाते..

  

Saturday 22 July 2017

रिश्ते

रिश्ते निभाने की चाहत हो दोनों
ओर से तो छूते हैं बुलंदियो को
आसमानों तक ..
कोई भी रिश्ते का वजूद नहीं होता
सिर्फ एक ओर से नींव रखकर ...
स्नेह और सम्मान के भाव हो तो
रिश्ते अटूट बंधन से बंधे रहते हैं
उम्र भर ..
चाहे लाख निभा लो रिश्ते को पर
कोई कीमत नहीं होता,गर सामने
वाले के दिल में फरेब हो ...
रिश्ते की मिठास कम हो जाती है
विश्वास की डोर जब टूट जाती हैं ..
समझदारी और जवाबदारी से ही
हर रिश्ते को संभाला जाता है..
रिश्ते बनाना बड़ा ही आसान
निभाना उतना ही मुश्किल है ..
सहयोग और संकल्प के भाव हो
तो रिश्ते हर जंग जीत जाते हैं ..

Friday 21 July 2017

चाहतें

जीवन में फूलों से सजी राहें हो
हमेशा हो समाना, हर किसी की
चाहते ऐसा ही होता...
हमेशा सुख और खुशियाँ हो भरपूर
कभी कोई दुख और गमों से पड़े ना
वास्ता ,हर किसी की ख्वाहिशयें भी
यहीं होता ...
पर नियति के हाथों होते सब कठपुतली
रब के बनाए रास्ते पर चलना ही होता ..
चाहे गम हो या खुशी,सुख हो या दुख
अपने हिस्से का हर घूँट चाहे जहर अमृत
का,पीना ही पड़ता...
धैर्य ही होता है हर परिस्थितियों का जवाब
चाहे जैसे भी हालात हो ... 

Wednesday 19 July 2017

नारी

मत कहो अबला नारी
बनने दो सबला नारी ।।
हूँ न मैं शो पीस घरों की
न विलासिता की मूर्ति  ।।
 मैं नहीं बेजुनबान गुड़िया
  सीने में भी मेरे दिल धड़कता ।।
 कुचलो न कोई अरमानों को
  रौंदो न मेरे ख्वाबो को ।।
  खुद से जीने का हक है हमें
   सबके खातिर जीती रहती ।।
    मैं एक जीती जागती नारी
    हूँ नहीं कोई मिट्टी की मूरत ।।
    नारी स्नेह और सम्मान की भूखी
     घर खुशियों से सिंचत करती ।।
    बच्चों और परिवार की खातीर
    हर नारी अपनी जान लगाती ।।
     नारी के उत्थान से ही होता
      हर युग में समाज की उन्नति ।।
 

  

Tuesday 18 July 2017

निःस्वार्थ प्रीत

प्रेम करने वाले कभी दिखावा
नहीं करते ..
कभी जताया भी नहीं करते ।
वो तो एक एहसास है जो रूह
महका देते हैं ।
वे व्यवहार से अपने प्रीत को
सदा के लिए अमर बना देते हैं ।।
सच्चे प्रीत को शब्दों की जरूरत
नहीं होती ।
वो तो मन के आँखों से महसूस
किया जाता ।।
निःस्वार्थ भाव से किया प्रेम कभी
मोहबंधन के जकड़नों में न पड़ते ।।
वो खुले आसमान में विचरणे के लिए
आजाद कर देते अपने प्रीतम को ।।
गर प्रीत सच्ची है विपरीत परिस्थितियों
में भी टूटने नहीं देते अपने स्नेह बंधन को ।।

Monday 17 July 2017

खुशियाँ

खुशियाँ नहीं मिलती बाजार में
और न ही मिलती फरियाद से ...
खुशियाँ न किसी से छिना जाता
न ही मिलता अधिकार से ...
ये तो किसी के दिलों में उतरकर
स्नेहहिल बनने से ही मिलता है ...
खुशियों की सिढियाँ चढ़ने के लिए
बहुत से पथरिलि रास्ते से गुजरना
पड़ता है ...
सब्र से काम लेने वाले ही
सफलता का स्वाद चखते हैं ..
खुशियों को भर लो दामन में
न जाने ये पल मिले ना मिले ...
जिन्दगी बार बार मौके नहीं देती
कोई रूठ गए तो उसे मना लो ...
गर वो रूठकर चले गए सदा के लिए
तो बेपनाह दर्द दे जाते हैं ...

Sunday 16 July 2017

हमसफर

जीवन के सफर में सही
हमसफर हो तो सुकून से
गुजर जाते हैं सुहाने सफर..
जिन्दगी की मधुर यादें
सुरिली संगीत के तरह मन 
में गूँजित हो कर आनंदित
कर देती है हर एक पल ..
जीवन में मधुर प्रेम की
बरसात हो, साजन का
एतवार हो तो जाने कब
दोनों "मैं"और "तू" से "हम"
बन जाते हैं, फिर कहलाते
एक जिस्मऔर एक जान..
गृहस्थी की गाड़ी चलती है
दोनों के बीच सहयोग से
दोनों में से एक लय में न हो
तो दोनों पहिये हो जाते हैं
विपरीत पथ पर जाने को
अग्रसर ...

Saturday 15 July 2017

साथ

मन न जाने क्यूँ आज बचैन है
  बरसों साथ रहके भी रिश्ते
   छूट जाते ..
  मुशीबत में अपना साया भी साथ
  छोड़ देता ...
  पल भर में  चीजें बदल जाती है
  सदा के लिए कोई साथ नहीं देता
   प्रेम कोई उपहार नहीं
   न ही भीख मांगकर मिले
  ये तो दो दिलों का मिलाप है
   मन तूँ सीख ले
  किसी के बगैर जीना
 ये ठान ले है हिम्मत से जीना ..
धीरज करने वाले की हार नहीं होती
वक्त बदलते देर नहीं लगता ...
सिर्फ रहे रब की इनायत ...  

Friday 14 July 2017

जीवन साथी

पति पत्नी दोनों
एक दूजे के पूरक होते ।
जीवन के डगर में
दोनों साथ निभाते
पल भर न जुदा होते
सुख दुख मिल के बाँटते ।
दोनों मजबूत खंभे जैसे
जीवन नैया मिलकर खैवते ।
रिश्तेदारियाँ गर एक निभाए
तो माना जाता है अधूरा ।
मेहमान नवाजियां भी दोनों
के साथ से ही होता पूरा ।
देते सब मान सम्मान जब
पति पत्नी साथ में होते ।
दो में से गर एक बिछुड़ जाए
तो दिन हिन बन जाते ।
किसी के दुख में बनो भागीदार ।
किसी का उपहास न करो ।
उपर वाले के ड़डे कब किस पर
गिर जाए पता नहीं चलता ।।

Wednesday 12 July 2017

विरहन का वियोग

घिर आई काली बदरिया नेह जगाय
सावन आए जिया जलाय

चहूँ दिश हरियाली छाई,जिया हुलसाए
जग उपवन बन जाय

मन में उमंगो की मौज घटा घनघोर
जीने की चाहत दे मन को करे हिलोर

घनघोर बारिश दिलों में शोर मचाए
बिछुड़े प्रीतम हुए विरहन आस सजाए

रह रहके गगन में चमक रही बिजुरिया
दिलों को छू दे कई एहसास, पिया परदेशिया

दारून वियोग सहा न जाए,जिया जलाय
मन हुआ बेचैन प्रियतम संग नेह लगाय

प्रियतम संग रहे सब कोई  जिया हर्षाय
जीवन के डगर बहुत कठिन बिन पिया
जिया न जाय..

रब की इनायत प्रियतम बिन जिये न कोई
 बने न विरहन बिछुड़े न कोई

Monday 10 July 2017

हसरतें

उम्र गुजर जाती है हम सबों की
बेहिसाब हसरतें पूरे करते करते ।
 
रह जाती है जीवन की सभी
यही पे कही अनकही हसरतें ।

सबको पता है एक दिन वो भी
खो जाएँगें दुनियाँ की भीड़ में ।  

छूट जाएगी रिश्तों की सारी बंधनें
जीवन के इसी बीते हुए लम्हे में ।

लेकर साथ कुछ भी नहीं जाना
और न  ही कोई भी साथ जाते हैं   ।

रिश्तों के बंधनों में फिर भी लोग
जिन्दगी भर ही जकड़े रहते हैं ।

सारी उम्र जोड़ने में कट जाती है
उम्र हर क्षण ही घटती जाती है ।

चाहे जिन्दगी के आखिरी पड़ाव हो
लालसा पर पीछा नहीं  छोड़ती है ।

हसरतों के लालच में यूँ ही बंधे रहते  ।
शायद यही जीवन की कर्मठता है ।

Saturday 8 July 2017

पति पत्नी

पति पत्नी दोनों एक,
दूजे के बिन अधूरे ।
दोनों मिलकर होते पूरे ।
सुख दुःख मिलकर सहते ।
परिवार की नींव डाल कर
जीवन को खुशियों से सजाते ।
खुशी व गम मिलके बाँट लेते ।
जीवन  के काँटे भरे राह भी
दोनों के संग से फूल बन जाते ।

मुश्किलों के पहाड़ खड़े हो
मिलकर दोनों हल ढूंढते हैं ।
भले ही खुद तकलीफ में हो
बच्चों के सुख के खातिर
सारे प्रबंध में जुटे रहते हैं ।
अपने हैसियत से अधिक उन्हें
सुविधा मुहैया कराते हैं ।

बच्चों के सुंदर भविष्य सजाते 
बच्चे अगर उसे छोड़ भी देते 
तो भी एक दूजे के साथ
खुशियों से जीवन जीते ..
पर नियति के निर्मम प्रहार से
रह जाते वो कितने अकेले
जिस मजबूत दरख्तों ने हमें
उचाइयों पे पहुँचाया उस पेड़
के सहारा बनें उसे झूकने न दे
बुजुर्ग माता पिता को टूटने न दें
खुशियाँ दे व उनके सहारे बनें ..

Thursday 6 July 2017

बाल मजदूरी एक अभिशाप

विधा- अतुकान्त

जिन्दगी अजीब होती है किसी को
हँसाती किसी को रूलाती ..
लोग कितने मतलबी होते हैं
ये देख मैं हैरान रह जाती
उस बच्चे को देख सोचती,
कितने बेरहम होते हैं लोग 
बेटा बनाके लाई और माँ की
फर्ज ही नहीं निभाती वो तो
हतप्रभ उस मासूम को देखती
सेवक सा इस्तेमाल होते 
पुत्र की कमी पूरे करने को
एक अनाथ को लायी थी
पर बना डाला एक दास
जिसको हरदम पिटा करते
हमेशा काम कराते पढाई की
तो केवल खाना पूर्ति करती
पूछा एक दिन बेटा आपका
पढाई कैसा करता है
हँसकर बोली वो तो
हरदम खेलता रहता है
बहुत दुखी हुई मैं एक दिन,
वो बोली थोड़ा बड़ा होगा तो
कर लुँगी मैं अपनी छुट्टी
जहाँ जाए अपनी बला से
उनको बिस्मित सी रह गई मैं
जो बच्चा उनको माँ बाप मानता
उनमें ही ढूंढा ममता
फिर क्यों बेरहम बन
करती  उपहास मानवता  ..
बेटा के आड़ में तो क्या
बाल मजदूरी कराना था
जिन्दगी भी अजीब होती है
किसी को हँसाती किसी को रूलाती ..
 

 

Wednesday 5 July 2017

आसक्ति

आज हर संबंधों में लगाव कम
फालतू का दिखावा अधिक है
फायदे और नुकसान के तर्ज
ही रिश्तों  के आधार हो रहें हैं

जीते थे जिनके मुस्कान के लिए
वो ही बुढ़ापे का आसरा छीन लिए
जाने क्यों खून के रिश्ते झूठे होते
क्योंकर स्वार्थी व निष्ठुर हो रहे हैं

ममता अनाथाश्रम में रो रही है
सपूत स्वार्थ में ही क्यों लिप्त है?
माँ के दूध का कर्ज चुकाए बगैर
पल पल उनसे दूर होते जा रहे हैं

लालसाओं के कुपमंडुताओ में
जीवन पर्यन्त सभी उलझे रहते हैं
अनंत इच्छाओं के मकड़ जाल में
सब अपनी परिधि में घिरे हुए हैं

बेड़ियों से हम मुक्त रखें खुद को,
सफर आसानी से कट ही जाएगी
मोह व आसक्ति के भंवर जाल से
क्यों ना सब कोई खुद को दूर रखें
एक दिन छोड़ जाना है संसार को ...

Tuesday 4 July 2017

रिश्ते की आजादी

नेह स्नेह और फर्ज समझ कर
सब रिश्ते निभा लो जीवन में
दूर रहो मोह माया के बंधन से  
खुद को न जकड़ो अनुराग से
गर टूट गए रिश्ते तो दर्द सह
न पाओगे ....।

लगा है मुखौटा,कौन पहचानता
सूख गए नेह, उर टेसू न खिलता
बेइन्तहा लगाव बोझ ही बनता
त्याग से प्यार  फलता  फूलता

रिश्ते को कितने भी जतन से
बाँध लो स्नेह के शूचि धागों से
नेहबंधन लोग तोड़ ही देते हैं
अधिक मीठा भी तीखा लगने
लगता है.. ।

रिश्ते घुट कर दम तोड़ देते हैं
पिंजरे में बंद पंछी के तरह ही
जल्दी ही वो छटपटाने लगते हैं
कर दो आजाद नेह बंधन को
लौट के आना होगा अगर तेरे हैं.. ।

Monday 3 July 2017

उड़ान

कण कण खुशियों के दाने लेके
उड़ चली आज फिर से मन पंछी 
बंधनों से मुक्त, खुले गगन के तले
गुनगुनाने लगी,छेड़ रहे राग मनके

न कोई गम न किसी का डर उसे
हवा के झोके के साथ मस्त सा
नीड़ छोड़,छूने चली चाँद व तारे
पूरे करने वो अपनी सारी हसरतें

बेफिकर सारी बंधनों से आजाद
अपने ही धुन में मस्त उड़ती जाती
अंतहीन ख्वाब सजाए पलकों तले
स्निग्ध वो महताब के शीतलता से

मन बावरा उँची उड़ानें भरते रहते 
हकीकत से जब जमीन पे आते
तो अक्ल ठिकाने लग ही जाता
समझ में आता तब आसान नहीं
बिन परवाज उड़ान जिन्दगी की

पथ को संघर्ष से जो भी सजाते
जो अधीर न होते तकलीफों में
खोखली तमन्नाओं में न फँसते
मंजिल पुकारती उसे बाँहें पसारे

Saturday 1 July 2017

इंसानियत

जग में आए गर इन्सान बनकर  
तो बेसहारों के मददगार बन सकूँ
आँसू पोछ होंठों पे मुस्कान लाऊँ
इतनी सुमति हृदय में भरना ईश्वर
इन्सानियत के सब फर्ज निभा सकूँ

स्वार्थ में किसी को इस्तेमाल न करूँ
ऐसी बुद्धि कभी भी न देना मुझको
अपने हिस्से भी मिल बाँट कर खाऊँ
सिर्फ मानव हित उर में देना हमको
किसी के धन के लालच में न पड़ूँ

कभी किसी के दुख में सहभागी न बनूँ 
मरहम न बन सकूँ तो घाव भी न कुरेदूँ.. 
ऐसी मति देना किसीके जीवन संवार सकूँ
अंतस् में मेरा इतना सुविचार देना प्रभु
तमस मिटा कर ज्ञान की ज्योति जलाऊँ

एक दिन सबको खाख में मिल जाना है
फिर भी लोग एक दूसरे के हक मारते हैं
सब खुद कर ले इसांफ, दे दे सबके हक
फिर क्यों होगा नफरत का बिजारोपण
प्रभु ऐसी मति देना सब पर नेह लूटा दूँ

नफरत व कटुता को खुद से दूर भगाऊँ
प्रेम स्नेह दया को एक दूजे में बाँट लूँ
मानवता के में रंग रंग जाएँ हम सभी
मजहब की दीवार न हो हमारे दिलों में
प्रभु दो सुबुद्धि प्रेम पुष्प जग में खिला दूँ