मिले निवाला जब सबको तब,,रहते न कोई छोटा बड़ा।
पूरी हो सबकी जरूरतें ,, नेह हृदय में रहता उमड़ा ।।
हक न छीने कोई किसी का , लालच प्रेम पर न भारी हो।
रिश्तों की बगिया महके तब, उर ममता से बलिहारी हो ।
दीनों का मिट जाए पीर सभी,रोटी कपड़ा व मकान मिले
उज्वल रहे देश का भविष्य,दीये शिक्षा की हर गाँव जले ।।
हर गेह नेह प्रकाशित रहे,,हो न जब हृद में नफरत जड़ा
पूरी हो सबकी...
मिल बाँट कर जब सब खाता,जलता है सबके घर चुल्हा।।
प्रेम प्रीत की गंगा बहती ,,नफरत के दिन फिर ढला ढला।
भेद भाव की दीवार गिरे , बनता है समाज समता का ।।
धन का वितरण एक बराबर ,हर गृह में फिर लगे ठहाका।
जाति पाति का बैर मिटे तो,कुटिल दूर रहता खड़ा खड़ा।।
मिलते जब सबको .....
मित्र बने जीव जन्तु वन में ,,लगे बाघ हिरण गले मिलने ।
सब पशु मिलकर नाचे गाये,,डरे न अब शेर से मेमने ।।
दुश्मनी किसी से जग में हो , बन जाए फिर धरा स्वर्ग ।
काश मिले सबके दिल ऐसे ,अपनों पे हो तब सदा गर्व ।।
एक तालाब में प्रेम बहे ,,हो मछली के संग केकड़ा ।।
मिले जब सबको .....