Monday 5 March 2018

मुक्त होना बेटी की उत्तरदायित्व से

बेटी के उत्तरदायित्व से मुक्त होना#
रमा और विष्णु के तीन संतान हैं ।दो बेटा एक बेटी ।ईश्वर के कृपा से तीनों ही संतान संस्कारी और मेधावी हैं ।  आम लोगों की सोच के अनुरूप विष्णु ने बेटे की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया  बड़ा बेटा अच्छे काॅलेज से मैनेजमेंट कर रहा और दूसरा बेटा ईन्जिनियरिंग कर अच्छे काॅलेज से गेट कर रहा किन्तु बेटी को बगल के स्कूल से पढ़ाकर घर से ही प्राइवेट से बी ए तक  पढाकर घर बैठा दिया ।बेटी पढ़ने में अच्छी थी वो भी उच्च शिक्षा लेना चाहती थी ..परंतु रमा विष्णु का कहना था बेटी पराये घर चली जाएगी उसकी पढ़ाई में खर्च करने के बजाय हाथ पीले करने में ही भलाई है ..
सबने उसे समझाया बिटिया को आगे पढ़ा लो वो अपने पैर पे खड़ी हो जाएगी तो अच्छे से अच्छे वर मिल जाएँगे पर उन लोगों ने किसी की नहीं सुनी ।
कुछ समय बाद पास के गाँव में बेटी रिया की शादी करवा दी .. लड़के वाले आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर हैं ..पर बेटा देखने में सुंदर और  मेधावी भी है ..।वर पक्ष बहुत ही
आदर्शवादी हैं उसने कोई भी तरह का मांग नहीं रखा..वो इसी बात से खुश हैं कि अच्छे घर की तेजस्वनी बहू आएगी तो घर में संस्कार की नींव मजबूत होगी ..विष्णु ने खूब ड़िगें भी मारी ..उसने कहा मैं बेटी दामाद के पढ़ाई में हमेशा मदद करूँगा और आपके कच्चे घर को पक्का भी करवाने में मदद करूँगा .. लड़ के वाले ने कहा आपकी जैसी इच्छा .. मेरे पास जो भी है उसी में आपकी बेटी को खुश रखने का यत्न करूँगा  ..खैर शादी हो गई ..
रमा और विष्णु तो बेफिकर होके मस्त हो गए ..सबसे कहते हम तो गंगा नहा लिए बेटी की शादी कर बहुत  बड़े उत्तरदायित्व से मुक्त हो गए ..अब भाग्य में जो लिखा रहेगा वैसी रहेगी रिया । बेटी को ससुराल भेजने के बाद झांकने भी नहीं गया विष्णु ..कोई जरूरत पूरी करने की बात तो दूर रही..लड़के वाले बहुत स्वाभिमानी हैं, उसने कभी किसी तरह की मदद की बात के लिए मुँह नहीं खोला..
ससुराल में रिया जैसे तैसे रहते हुए सास ससुर की सेवा करते हुए घर का काम करने लगी ..सास ससुर भी उसे बेटी से कम नहीं समझते ..
लेकिन रिया को एक ही गम है कि क्या माँ बाप के लिए बेटी बोझ होते जो शादी कर मुक्त होना चाहते ..
अगर मेरी पढ़ाई भैया जैसै होती तो मैं भी उच्च पोस्ट पर जरूर पहुँचती .. ये सब सोच कर उसका मन दुखी हो जाता है ..

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