Tuesday 13 March 2018

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आज रीमा की शादी है ।गाँव के सभी लोग दुल्हा देखने उमड़ पड़े ।औरतें आपस में कानाफूसी कर रही न जाने रीमा का दुल्हा कैसा है ?जब से शादी पक्की हुई, उसकी माँ रो रो के बेहाल है..छाती पे मुक्का मार मार कर अधमरी सी हो गई ।
रीमा के पापा ने किसी की एक न सुनी .. बोले जो उसके भाग्य में लिखा था सो हुआ ।रिश्ते पक्के करने के बाद तोड़ना बिरादरी में नाक कटाना है ।लड़का काला है तो क्या हुआ, जमीन तो है ।कलम की कमाई का क्या भरोसा ? खेती बाड़ी तो है ,लड़का बी फेल है कोई अनपढ़ तो नहीं ..
अपनी रूपमती और तेजस्वनी बेटी को देखते ही रीमा की माँ फफक पड़ती ।कोई भी जाता उसके पास उसके आँसू से पिघल जाता ।सबने बहुत समझाया रीमा की माँ को पर वो किसी का न सुनती रोती ही रहती ..अंत में रीमा ने अपना मन कड़ा किया और माँ को समझाने लगी ..अगर आप रोओगी तो मैं शादी नहीं करूँगी ।मेरे किस्मत में जो था वो हुआ ।मैं पापा का सर नहीं झूकने दुँगी समाज के सामने, इसलिए शादी जरूर करूँगी । परंतु आप विश्वास रखो मुझ पर मैं अपने जीवन को खुशियों से संवार लुंगी ..रीमा की बात से माँ चुप हुई ..और वो घड़ी आ ही गई जब बारात लेके दुल्हे राजा आए..
दुल्हा तो सचमुच रीमा के लायक नहीं था..लेकिन अच्छा इंसान था .. रीमा को हमेशा खुश रखता और परिवार के खुशहाली के लिए खूब मेहनत भी करता ..
दोनों पति पत्नी ने अपनी सारी मुश्किलों को मिलके हल  करते रहे।रीमा ने कभी पति को एहसास नहीं होने दिया कि वो किसी भी तरह कमतर है रीमा से ।
रीमा भी पति के मेहनत के रूपये जाया नहीं करती ।एक एक पैसे का सदुपयोग करती और बचाकर रखती।
जल्दी ही उसके आंगन में दो फूल खिले ।सुन्दर सुन्दर दोनों बेटे को पाकर वो बेहद खुश रहने लगी।परन्तु उसने मन ही मन ठान लिया था अपने बच्चे को उच्च शिक्षा दिलाने का ..।इसके लिए पति पत्नी ने मिलकर
शुरू से बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने लगे.
रीमा पढ़ने में अच्छी थी सो बच्चों को भी मन से पढ़ाया
आज दोनों बेटा उसका डॉ और ईन्जिनियर है..
रीमा के सुखी संसार देख उसकी माँ भी आनंदित रहती ...

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