Wednesday 21 March 2018

प्यारी गौरैया

आ जाती वो प्यारी सी गौरैया
मेरे बालकोनी के पियुपी में
 बनाने को हर साल घोसला
नर और मादा बनाती परिवार ।
 जल्दी ही घोसले में छोटे छोटे
गौरैया के बच्चे भर जाते ।
काम वाली भन भन करती
उसके बीट को साफ करने में ।
 दिनकर जी जब कहर बरपाते
लू की थपेड़ों से बचकर चली जाती
 आश्रय ढूंढने ठंड़ी छाँव में ।
इधर कितने दिनों से दिखती नहीं
वो प्यारी सी गौरैया नजर न आती ।
 सुनने को तरस गई चुन चुन की धुन
फुद फुद कर दाना चुगना अब न दिखता ।
 कंकरिट के बिछे जालों व
 पेड़ों की कटान से नीड़ छिना ।
 खेतों में विषैले खाद से मर्माहन्त
जहरीले दाने चुगकर हो गई वो लुप्त ।
आंगन में फुदकना फिर न दिखेगा
वो फुरतिलि सी गौरैया की ,
जल्दी ही हो कोई उपाय
बची रहे हमारी प्यारी गौरैया ..

 

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