Wednesday 2 August 2017

बसेरा

दिनभर की थकान मिटाने, रजनी के संग
छिप रहे दिनकर..
 संध्या नयनाभिराम दृश्य रचा नीरव निशा    
 की ओर, विदा हो रही धीरे धीरे ..
    पशु पंछियाँ सब लौट चले
   संग साथियों को ले
   अपने नीड़ की ओर ..
     शुकुन के दो पल की चाह में सब,
    कुछ क्षण ढूंढ ही लेते रैन बसेरा में..
 मुसाफिर दिन के कामों को निबटा
थकान से भरा, सुस्त और सधे कदम
 से लौट रहे घरों  की ओर ...
सजाकर कई सारे ख्वाब नयनों में ..
सुखद अनुभूति लिए चंद लम्हे जीने
की चाहत में ...
जिन्दगी की जिवंतता सुख दुख के
 साथी में ..
हर किसी की ख्वाहिशें प्रीत की छाँव
हो बसेरा में ..
 ऐ मेरे मालिक, रखना कृपा सबों पर
 बिछुड़े  न कोई , रहे न कभी कोई बेघर ..

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