ये जीवन उलझनों का जंगल
जाने कितने ही आए मुश्किलें
टेड़े मेड़े रास्ते से
गुजरना ही पड़ता
है लक्ष्य पर निशाना
तो मुश्किल भी नहीं
बचके निकलना ।।
ये जीवन उलझनों का जंगल ..
कभी कभी संकटों के पहाड़
आ जाते सामने
दिखता न मंजिल ..
तो फिर बड़े आराम से
सोच की गाड़ी का गियर
तिक्ष्ण स्फूर्ति से संभल के
अवरोधों से निकालना पड़ता ।।
ये जीवन उलझनों का जंगल ..
यहाँ हर एक को झेलना ही पड़ता
अपने हिस्से के तकलीफों को
जिन्दगी जीने का मजा तभी
जब हो चुनौतियों से सामना ।।
ये जीवन उलझनों का जंगल ..
रब तू दे चाहे लाख परेशानियाँ
पर मैं भी कोई हार मानने वाली नहीं
करती तेरी चुनौतियों को स्वीकार
झेल लूँगी तेरे हर एक वार को ।।
ये जीवन उलझनों का जंगल ..
No comments:
Post a Comment