Saturday 16 September 2017

पाकीजा इश्क

इजहार ए बयाँ इश्क का
क्या कहिए ..
कितना ही बुझा दो फिर भी
सुलग ही जाती है ..
ये वो चिंगारी है जो दिल ही
दिल में सुलगती रहती..
आँखों के पैमाने में छलकती
पर बँया करने से शर्माती ...
होते हैं कोई किस्मत वाले जो
 मिल जाते छलकते पैमाने को..
 संभालने ओर साथ निभाने
वाले साकी...
इश्क वो चिंगारी है जो देखते ही
देखते  फैल जाती फिजां में ..
और हो जाते हैं मशहूर इश्क
 करने वाले ..
कई किस्से तो हकीकत के अंजाम
तक पहुँचते ..
पर कईयों की कहानी रास्ते में ही
 दम तोड़ देती ...
जीवन भर का साथ मिले ना मिले
पर सच्चे प्रेमी इश्क की पाकीजगी
को महफूज रखते ..
और अपने प्रीतम के आंचल में
दाग न लगने देते ...

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