Tuesday 19 September 2017

मोह

मेरे घर के पड़ोस में
दो बुजुर्ग मियाँ बीबी
बड़े ही प्यार से रहते थे ..
जीवन के प्रति लगाव
और जिवंतता देख मैं
अचरज में पड़ जाती थी ..
सुबह शाम दोनों जोड़े
धूप सेकते, कभी चाय
पीते दिख ही जाते ..
उम्र के इस पड़ाव में
जहाँ लोग आराम करते
वे लोग रात दिन घर को
चमकाने में लगे रहते ..
उनकी सक्रियता देख
मुझे आश्चर्य होता था
कि वे लोग तनिक भी
नहीं सोचते जाने कब
बुलाबा आ जाए ..
और हुआ भी वही
अब वो अकेले रह गए ..
फिर भी उनका मोह न
 कम हुआ  ..
मैं आज उनके घर गई
लगी समझाने ..
अकेले क्यों रहते ?
बेटा के साथ रह लो
अंकल ने कहा कैसे
ये सब दूँ मैं छोड़ ?
मैंने इतना खून पसीना
से घर जोड़ा ..
ये बच्चों के धरोहर हैं ..
बीमार रहकर भी
अकेले ही रहते  ..
मैं उन्हें देख कर
सोचने लगी जब तक
शरीर में प्राण है ..
सांसारिकता का मोह
न भंग होता ..

No comments:

Post a Comment