Monday 18 September 2017

यादों के अक्स

गुजरे हुए वक्त
अपने कदमों के
निंशा छोड़ जाती
राहों में ..
जिसे ढूंढा करते
हम वक्त के पन्नों में ..
हर एक चीज में
 हम अपने यादों के
अक्स तलाशते ..
मन को लगता
इधर उधर बिखरी
हुई है ढूंढने से
मिल जाएगी ...
पर मन तो ठहरी
कोमल कपोल
उसे क्या पता?
 बीते हुए लम्हे की
कशिश ही रह जाती ..
 कितना भी कोशिश
करो वो वक्त वापस
कभी न आते ...
वर्तमान में ही है
जीवन के हर पल
का लुत्फ ..
 

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