Saturday 2 September 2017

बेवक्त का बदलाव

लोगों की बदलती फितरत
रिश्तेदारों का रंग बदलना
दोस्तों का अनायास रूठना
दिलों को तोड़ ही डालती है ..

 निरोग काया का रूग्ण होना
स्वजनों से असमय बिछोह
संतान के मार्ग से भटकाव
उम्मीद की आस डुबा देती है ..

अनुमान के परे व्यापार में मंदी
मौसम का बेवजह बदलना
खेतों का पानी बिन तरसना
कभी बिन बदरा के बरसात
कृषकों का कमर टूट जाता है ...



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