Sunday 24 September 2017

पुलकित

मेरा मन हमेशा
तुम्हें ही पुकारता ..
तुम्हारे होने का सबब
हर चीजों में ढूंढता ..
 तुम मेरे साथ हो न हो
तभी भी ऐसा लगता
तुम यहीं हो आस पास
तुम्हारे होने का अक्स
हर चीजों में मिलता ...
   भीनी भीनी
महकी सी खुशबू
 तुम्हारे मौजूदगी
का एहसास हर वक्त
मेरे रोम रोम को
 करता पुलकित ..
शायद तुम समझ
 भी नहीं पाते ..
तुम्हारे मौजूदगी में
मेरे मन मयूर कैसे
झूमने लगता ..
ये सोच तन्हाई में भी
मुझे एहसास होता
तुम यही हो मेरे पास !!!

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