Wednesday 22 November 2017

मुक्ति

मौत बेहद कष्टदायक
बिलकुल सत्य और अटल
जिससे कोई नहीं बच सकता
जो है यथार्थ सच जीवन का

एक जीते जागते हाड़ मांस
पुतलों का मिट्टी बन जाना
बरसों के संग साथ अपने
भाई बंधुओं व प्रियतम से छूटना
सच में वेदना से भर जाता मन ..

महिनों से पिड़ित बिमारीयों से
हार कर नाता तोड़ गए सब से
आज फिर अपने छोड़ गए जग से
यादों में वो रहेंगे जिवीत हमेशा ..
 
कभी कभी रोग और पीड़ा से
लिपटा तन देख आ जाती दया सी
भगवान दे दे मुक्ति उन्हें जीवन से
जीर्ण शीर्ण काया छूटे मुक्त हो कष्ट से  ..
महा प्राणायाण का मार्ग भरा हो फूलों से
स्वर्ग का द्वार खुला रहे उनके लिए
अब दिल में है यही दुआ रब से ..

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