Tuesday 7 November 2017

धरातल

पाकर  प्रसिद्धि को
 सरल बने रहना
 है मानवियता की
असली पहचान ।।
 
ऊँचाइयों पे पहुँचना
कोई दीगर बात नहीं
पर है बड़ी बात इसे
संभाल के रखना ।।
 
शोहरत के शिखर
सभी चढ़ते संभल कर
जरा सी असावधानी
लुढ़क ही जाते जमीन पर ।।

अक्सर लोग पाकर
नाम और शोहरत
घमंड में हो जाते हैं चूर
खुद को पीर समझने लगते ।।

फल विहिन वृक्ष तने ही रहते
अगर कोई वृक्ष हो
फल से लदे तो हमेशा
वो झुके ही रहते ।।

ऊपर पहँचकर भी जो
खुद को सर्वश्रेष्ठ न समझे
नीचे नजर से न देखे जो
धरातल पे रहने वाले को
वही महापुरुष कहलाते ।।

 
 

 

 

 

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