कुछ रिश्ते जीवन में
एक लाइलाज बिमारी
की तरह होता ..
जिसका कितना ही
इलाज करा लो पर
ठीक ही न होता ...
कभी कभी इलाज के
क्रम में अंगों को
काटना पड़ता ..
फिर भी इन रोगों से
छुटकारा न मिलता ...
ठीक इसी तरह
ऐसे रिश्ते को
खुद से कितना ही
अलग कर दो पर
पीछा न छूटता ..
वो साथ साथ रहते
और वार करने को
मौके की तलाश में होते ..
ये जिस थाली में खाते
उसी में सुराख करने की
कोशिश में लगे रहते ...
कितना ही जतन करो
स्नेह और सम्मान देकर
रिश्ते में मिठास लाने की
पर ये कुटिलता न छोड़ते कभी
विश्वास घाती ये रिश्ते
फरेब करने से बाज न आते
मतलबपरस्त इस जग में
सच्चे रिश्ते जैसे मोती सीप में ..
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